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Description
नष्ट लड़की : नष्ट गद्य
उधर आँधी-तूफान तो इधर वाद-विवाद बहस तसलीमा नसरीन अपनी जिस पुस्तक ‘औरत के हक में’ के कारण प्रशंसा और निंदा के जिस अतिरेक से गुजरीं, उसी की पूरक पुस्तक है ये ‘नष्ट लड़की : नष्ट गद्य। ‘नष्ट क्यों ? उसमें तसलीमा ने हमें दिखाया था कि अंडा-दूध और नारियल की तरह ही नष्ट शब्द को भी औरतों के क्षेत्र में इस्तेमाल करने के लिए हमारा यह समाज किस तरह कमर कसे तैयार बैठा है। इस बार अपने विशद अनुभव के आधार पर उन्होंने लिखा है-‘मैं खुद को इस समाज की नजरों में नष्ट समझा जाना पसंद करती हूँ। ‘क्योंकि, उन्होंने महसूस किया है कि यदि अपने अधिकारों के प्रति जागरुक कोई नारी अपने दुःख, दैन्य, दुर्दशा को दूर करना चाहती है तो उसके खिलाफ धर्म, समाज और राष्ट्र की जाहिल शक्तियाँ दीवार बनकर खड़ी हो जाती हैं, इसके साथ ही समाज के तथाकथित भद्रजन भी उसे नष्ट लड़की कहने लगते हैं।
अपने जीवन के अनुभव से ही तसलीमा ने यह बात महसूस की है कि ‘नारी के शुद्ध होने की पहली शर्त ही यह है कि पहले वह नष्ट हो। बिना नष्ट हुए इस समाज के नागपाश से किसी भी नारी को मुक्ति नहीं मिल सकती।’
इसमें संदेह नहीं कि दुःसाहसी, स्पष्टवक्ता और विरोध में आवाज उठानेवाली तसलीमा नसरीन की यह विस्फोटक पुस्तक उस दृष्टि से, शुद्ध नारी का शुद्ध गद्य है। तसलीमा नसरीन के कलम का गद्य शुरू से ही धारदार और प्रहारक रहा है। इस पुस्तक में वह गद्य और ज्यादा पैना और सटीक है। इसमें उन्होंने पुरुष शासित समाज में स्त्री के दुर्भाग्य-दुर्दशा और अवमूल्यन का ही जिक्र नहीं किया है बल्कि इससे उबरने की दिशा में भी प्रकाश डाला है। उन्होंने विरोध में सिर्फ उँगली नहीं उठाई है, बल्कि ढेरों छद्म बुद्धजीवियों के मुखौटे भी उतारकर उनका असली चेहरा भी उजागर किया है। इस पुस्तक के गद्य में सिर्फ प्रबंधात्मकता ही नहीं है बल्कि कहीं-कहीं उनमें कथात्मकता के भी दर्शन होते हैं। अधिकतर शीर्षक भी रवीन्द्रनाथ के गीत-कविताओं की वे पंक्तियाँ हैं जिनसे वे विचारों की आंच महसूस की जा सकती है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2010 |
Pulisher |
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