Naveen

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199.00 147.00

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Author: Gopal Singh 'Nepali'

Availability: 5 in stock

Pages: 128

Year: 2025

Binding: Paperback

ISBN: 9789360868291

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

नवीन

हिन्दी कविता को जनमानस तक पहुँचाने में गोपाल सिंह नेपाली का अद्वितीय योगदान है।

—हरिवंशराय बच्चन

‘हम राजनीति में नौजवान और साहित्य में बूढ़े एक साथ नहीं बने रह सकते’—इस कविता-संग्रह ‘नवीन’ की भूमिका में गोपाल सिंह नेपाली यह उल्लेखनीय वक्तव्य देते हैं और एक तरह से साहित्य और साहित्यिकों के लिए भी एक कार्यभार तय कर देते हैं।

इस संग्रह का समय 1940 का दशक है जब देश आजादी पाने से कुछ ही दूर था और राजनीति के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन भी एक नई करवट ले रहा था। अब जरूरत थी साहित्य के एक नया रूप लेने की। ‘नवीन’ की कविताओं में उन्होंने यही करने का प्रयास किया है। न सिर्फ कथ्य, बल्कि शिल्प, छन्द और भाषा के स्तर पर भी।

संग्रह की पहली ही ​कविता ‘नवीन’ में वे पुराने तथा रूढ़िबद्ध को छिन्न-भिन्न करते हुए नवीन कल्पना का आह्वान करते हैं :

तुम प्रार्थना किये चले, नहीं दिशा हिली/तुम साधना किये चले, नहीं निशा हिली/इस आर्त दीन देश की न दुर्दशा हिली। अब अश्रु-दान छोड़ आज शीश-दान से/तुम अर्चना करो, अमोघ अर्चना करो।… नवीन कल्पना करो।

प्रकृति की महिमा के साथ-साथ इस संग्रह में राष्ट्र और जन-चेतना से सम्पन्न कविताएँ भी विशेष रूप से ध्यान खींचती हैं। ‘फुटपाथ पर खड़े दर्श​कों से’ और ‘नौजवान की मृत्यु पर’ जैसी कविताएँ अपनी चुस्त गठन और स्पष्ट भावाभिव्य​क्ति में जैसे आज भी पूरे समाज को झकझोर देने की क्षमता रखती हैं।

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Authors

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2025

Pulisher

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