Naya Ghar

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Naya Ghar

Naya Ghar

199.00 169.00

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199.00 169.00

Author: Intizar Hussain

Availability: 5 in stock

Pages: 212

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9788183619882

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

नया घर

मैं जुबैदा को क्या बताता ! मैंने उलटा उससे सवाल कर लियाः ‘‘मगर तू भी अभी तक नहीं सोई हो।’’

‘‘मुझे तो इस मकान की फ़िक्र खाए जा रही है।’’ और इससे पहले कि मैं कुछ कहूँ, उसने सवाल दाग दिया : ‘‘फिर तुमने क्या सोचा है ?’’

‘‘किस बारे में ?’’ सवाल इतना अचानक था कि वाक़ई मेरी समझ में नहीं आया कि जुबैदा झुँझला गई :

‘‘कौन-सी बेटी ब्याहने को बैठी है, जिसके बारे में पूछूँगी। आशियाने के बारे में पूछ रही हूँ।’’

‘‘आशियाने के बारें में…?’’ मेरे लिए जुबैदा के सवालों को समझना और जवाब देना उस वक़्त दूभर हुआ जा रहा था। मैं तो किसी और ही फ़ज़ा में परवाज़ कर रहा था, जहाँ दुनिया के ये क़िस्से थे ही नहीं। बस शीरीं थीं और मैं था। ‘मैं’ तो उस वक़्त था। मगर इसी के साथ मुझे तअज्जुब हुआ कि शीरीं का तो अभी तक कुछ भी नहीं बिगड़ा। हाँ, उस वक़्त ककड़ी कच्ची थी, अब पककर भर गई है और तरश गई है। वाक़ई क्या तरशी-तरशाई नज़र आ रही थी कि हर खम, हर गोलाई नुमायाँ और मुतनासिब, और भरी हुई ऐसी कि अब छलकी और अब मुझे अफ़्सोस होने लगा कि उसे नज़र भरकर देखा भी नहीं। कैसी ग़ाइब हुई, बस जैसे आँखों के आगे बिजली कौंद गई हो। और फिर मुझे वही ख़याल सताने लगा कि शायद उसे शक पड़ गया था। मगर कमाल है, इतने बरसों बाग मिली और उसी शक्की तबीयत के साथ। शक भी, मैंने सोचा, क्या फ़ितना है। दो दिल कितनी मुश्किलों से, कितने नाजुक मरहले तै करके क़रीब आते हैं, घुल-मिल जाते हैं जैसे कभी जुदा नहीं होंगे। मगर एक ज़रा-सा शक आन की आन में सारी कुर्बतों सारी मुलाक़ातों को अकारत कर देता है।

नया घर एक परिवार की दास्तान है जिसका सफ़र अतीत में इस्फ़हान के घर से शुरू होता है और हिजरत करता हुआ, क़ज़वीन हिन्दुस्तान और अंत में पाकिस्तान पहुँचकर भी ज़ारी रहता है।

इंतिज़ार हुसैन सीधी-सादी ज़बान में आपबीती सुनाते हैं। इनसानी मुक़द्दर इनसानी जीवन और ब्रह्मांड से सम्बन्धित मूल प्रश्नों पर सोच-विचार के वक़्त भी इस सहज स्वभाव को क़ाइम रखते हैं। विभाजन के नतीजे में प्रकट होनेवाली सांस्कृतिक, भावात्मक, मानसिक समस्याएं एक सर्वव्यापी और साझा इतिहास और उस इतिहास के बनाए हुए सामाजिक संघटन का बिखराव, देशत्याग, साम्प्रदायिक दंगे, सत्ता की राजनीतिक का तमशा, पाकिस्तान में तानाशाही, राजनीतिक दमन और मूलतत्ववाद के परिणामस्वरूप सामाजिक स्तर पर प्रकट होनेवाली घुटन और सामूहिक मूर्खताओं का एहसास; फिर विरोध और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य की वह लहर जो वैयक्तिक सत्ता के विरुद्ध सामूहिक नफरतों को अभिव्यक्त करती है-नया घर में इन सारी घटनाओं का रचनात्मक चित्रण मिलता है।

पिछले चालीस बरसों (‘नया घर’ 1987 ई. में प्रकाशित हुआ था) में होनेवाली वह हर राजनीतिक घटना जिससे सामूहिक दृष्टि प्रभावित हुई है, इंतिज़ार हुसैन की रचनात्मक प्रक्रिया और प्रतिक्रिया में उसकी गूँज सुनाई देती है।

इंतिज़ार हुसैन ने एक बहुत बड़े कैनवस की कहानी को यहाँ ‘मिनिएचर’ रूप में प्रस्तुत किया है। कहानी का हर पात्र और हर घटना चित्रण में इस तरह गुँथा हुआ है कि सारे घटक एक दूसरे की संगति में ही अपने अर्थ तक पहुँचते हैं। अतीत की धुंध को चीरती हुई कहानी वर्तमान का भाग इस तरह बनती है कि दोनों कहानियाँ अपने अलग-अलग स्तरों पर भी जीवित रहती हैं। नया घर एक सिलसिला भी है और विभिन्न मूल्यों, रवैयों, परम्पराओं और दो ज़मानों के बीच एक संग्राम भी।

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Authors

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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