Neeti Kathayein

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Neeti Kathayein

Neeti Kathayein

80.00 79.00

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Author: Swami Avdheshanand Giri

Availability: Out of stock

Pages: 160

Year: 2016

Binding: Paperback

ISBN: 9788131008089

Language: Hindi

Publisher: Manoj Publications

Description

नीति कथाएँ

पानी की निचली सतह की ओर बहने के लिए कोई प्रयास नहीं करना पड़ता। यही बात मनुष्य के साथ भी है। उसे ऊपर उठाने के लिए काफी प्रयास करना पड़ता है। इस प्रयास में निरंतरता का होना भी आवश्यक है। नीति कथाएं नैतिक मूल्यों की जानकारी देकर निरंतर प्रयास के लिए प्रेरित करती हैं। नीति शास्त्र सिद्धांतों की विवेचना करता है, इसलिए प्राय: वह सामान्य मनस् की पकड़ से दूर हो जाता है। पंचतंत्रकार श्री विष्णु शर्मा ने वर्षों पहले जान लिया था कि बालकों और बालकों और बाल बुद्धि के लोगों को नीति का रहस्य समझाने के लिए कथा साहित्य की आवश्यकता है। उनका यह प्रयोग सफल रहा है। इस पुस्तक से भी हमें ऐसी ही अपेक्षा है।

1

प्रकृति का नियम

इस दुनिया को चलाने वाला कोई न कोई मालिक जरूर है। यूं भी समझा जा सकता है कि वह प्रकृति के रूप में उपस्थित है। उसके नियमों के साथ छेडछाड़ करना गुनाह है और साथ चलने के मायने हैं इबादत। इस्लाम के सीरतुस्सालेहीन में एक कहानी का जिक्र है। एक बूढ़ी औरत को चरखा चलाते देखकर एक पढ़े-लिखे युवक ने उससे पूछा कि जिंदगीभर चरखा ही चलाया है या उस परवरदिगार की कोई पहचान भी की है ?

बुढ़िया ने जवाब दिया, ‘‘बेटा, सब कुछ तो इस चरखे में ही देख लिया है।’’ पढ़ा-लिखा आदमी चौंका और उसने पूछा, ‘‘कैसे ?’’ बूढ़ी औरत ने जवाब दिया, ‘‘जब मैं इस चरखे को चलाती हूँ तब यह चलता है। जब मैं इसे छोड़ देती हूँ तो बंद हो जाता है। चलाए बिना नहीं चलता। इस दुनिया में जमीन, आसमान, चांद, सूरज। ये जो बड़े-बड़े चरखे हैं, इनको भी चलाने के लिए कोई एक होना चाहिए।’’

जब तक वो चला रहा है, यह चल रहे हैं। मिसाल के तौर पर जब मैं इसे चलाती हूं तो यह मेरे हिसाब से चलता रहता है। यदि मेरे सामने कोई बैठ जाए  और इस चरखे को चलाने लगे तो यह चरखा ठीक से चलेगा जब सामने वाला मेरी चाल के मुताबिक इसको चलाए। यदि वो मेरे चलाने के विपरीत चलाएगा तो यह चलेगा नहीं टूट जाएगा। बस, यही उसूल उस ऊपर वाले की दुनिया का है। उसने जिस ढंग से यह प्रकृति बनाई है, हमें नियमों का पालन करना चाहिए और यदि हम दूसरी तरफ चलने वाले बनकर उल्टा चलाएंगे यानी प्रकृति के नियमों को तोड़ेंगे, उस परवरदिगार के उसूलों के नहीं मानेंगे तो नुकसान उठाएंगे। इसी का नाम इबादत है। बूढ़ी औरत की बात उस आदमी की समझ में आ गई। पर्यावरण का संकट, आदमी की सेहत की परेशानी उल्टी चाल से ही पैदा होती है।

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2016

Pulisher

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