- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
नीलाद्रि विजय
प्रस्तुत उपन्यास मूल उड़िया भाषा में लिखा गया है। नीलादि विजय शीर्षक से हिंदी में अनूदित इस उपन्यास के केंद्र में उड़िसा का श्रीजगन्नाथ मंदिर है। यह उपन्यास भले ही नीलशैल का उत्तरार्ध हो लेकिन घटनाओं की क्रमिता तथा पात्रों की समता के अलावा नीलाद्रि विजय का नीलशैल के साथ अन्य कोई संपर्क नहीं है। उड़िसा के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक इतिहास में श्रीजगन्नाथ का स्थान सर्वविदित है। वस्तुतः सार्वजनीन मानव की मैत्री-साधना के इष्टदेव के रूप में श्रीजगन्नाथ की परिकल्पना जिस तरह अद्वितीय है, उसी तरह विराट भी है। राजनीतिक, साहित्यिक व कलात्मक दृष्टि से पाठकों के लिए यह उपन्यास अत्यंत रोचक और पठनीय है।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.