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निर्बुद्धि का राज काज
निर्बुद्धि का राज-काज में संकलित कहानियाँ पुरानी और परिचित भारतीय लोक-कथाएँ हैं। हिन्दी के अनगिनत किशोर पाठकों तक पहुँचाने के लिए इन्हें यहाँ-वहाँ व्यवस्थित किया गया है। इससे इन कहानियों का स्वर मुखर और निवेदन प्रभावी हो गया है। इन कहानियों के प्रस्तुतकर्ता श्री गोपाल दास ने आधी सदी पहले अजमेर के मैगज़ीन स्थित संग्रहालय में अंग्रेज़ी पत्रिका ‘इण्डियन एन्टीक्वेरी के अंकों में इन्हें पढ़ा था। इन्हें पढ़ने के बाद हिन्दी में इनका भाषांतर करने की साध उनके मन में रची-बसी थी, जो अब इतने सालों बाद पूरी हो पायी है। ऐसी ही कहानियों ने भारतीय भाषाओं के लाखों पाठकों में रचनात्मक ऊर्जा और कल्पनात्मक क्षमता का विस्तार किया है।
साहित्य अकादेमी को विश्वास है कि ये कहानियाँ अपने पाठकों को अपनी गौरवपूर्ण लोक-कथाओं के और भी निकट ले आयेंगी।
विषय प्रवेश
- सोनाबाई
- उसका भाग्य जागा
- रबाड़ी से राजा
- चतुर किसान और लोभी व्यापारी
- पंजफूलदानी
- फातेह खाँ उर्फ फत्तू का कमाल
- बुद्धू कौन, सयाना कौन
- एक था सूरज, एक था चाँद
- एक-से-बढ़कर एक
- निर्बुद्धि का राज काज
Additional information
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Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
Swetambaree –
This is a good book