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ओलम्पिक खेल और भारत
ओलम्पिक खेल प्राचीन यूनानी सभ्यता की देन है जहाँ ईसा पूर्व 776 से लेकर 393 ई. तक उनका आयोजन होता रहा। ये खेल ओलम्पिया पर्वत पर होते थे जिसके कारण इन्हें ओलम्पिक कहा जाने लगा। एक दन्तकथा के अनुसार हरक्यूलिस और उनके पिता को ओलम्पिक का जनक माना जाता है।
प्राचीन ओलम्पिक के ईसवी सन् 393 के बन्द होने के कोई पन्द्रह सौ साल बाद आधुनिक ओलम्पिक आयोजनों का आरम्भ उन्नीसवीं सदी के आखिरी दशक में आकर हुआ जो अब तक जारी है। आज यह विश्व का सबसे बड़ा खेल-महाकुम्भ है जिसमें अनेक खिलाड़ी, अनेक टीमें, अनेक देश विशुद्ध खेल भावना के साथ अपनी विजय के लिए संघर्ष करते हैं।
किसी भी खिलाड़ी के लिए ओलम्पिक तक पहुँचना उसका सबसे बड़ा सपना होता है, एक महान उपलब्धि। कड़े परिश्रम और साधना के बाद ओलम्पिक तक पहुँचे इन खिलाड़ियों को इसलिए हम श्रेष्ठतम प्रतिभा कह सकते हैं, और ओलम्पिक को श्रेष्ठतम खेल-प्रतियोगिता।
ओलम्पिक में ऐसे अनेक खिलाड़ी सामने आते हैं जो देश-दुनिया और समाज के लिए आदर्श बन गए। विकट, विषम परिस्थतियों से पार पाकर वे कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने।
इस पुस्तक में हम ओलम्पिक में शामिल सभी खेलों के साथ ही खिलाड़ियों के बारे में भी विस्तार से पढ़ेंगे। हर खेल के विवरण के साथ इसमें भारत के प्रदर्शन को विशेष रूप में रेखांकित किया गया है। और हो सकता है कि इन पृष्ठों पर दी गई जानकारी किसी भावी खिलाड़ी के लिए प्रेरणा ही बन जाए।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
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