Pankh Mein Barish

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Pankh Mein Barish

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Author: Panna Trivedi

Availability: 5 in stock

Pages: 120

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9789390827237

Language: Hindi

Publisher: Bodhi Prakashan

Description

पंख में बारिश

अनूठी सृजनात्मक उपस्थिति हैं पन्ना त्रिवेदी

पन्ना त्रिवेदी की कविताओं में हमारे समय के प्रति वे सभी प्रश्न, सन्देह, आशंकाएं और प्रतिरोध के स्वर मुखर हैं जो उन्हें समकालीन हिन्दी कविता की जनपक्षधर धारा से जोड़कर उन्हें कोई ‘अन्य’ नहीं लगने देतीं। पन्ना त्रिवेदी यों तो प्रमुख रूप से गुजराती साहित्य की प्रतिष्ठित कहानीकार हैं, परन्तु उनकी गुजराती कविताओं ने भी उन्हें अपना एक स्थान दिलाया है। इस दृष्टि से गुजगती के अलावा पन्‍ना त्रिवेदी की हिन्दी में भी सृजनात्मक उपस्थिति हिन्दी के भूगोल की विविधता को और अधिक विस्तार देती है। पन्ना त्रिवेदी की कविताओं की केंद्रीय संवेदना में समय, समाज और सत्ता प्रतिष्ठान की नीयत के विरुद्ध एक उत्कट विकलता है जो हमें कवयित्री की मानसिक बुनावट, उनकी सादगी के सौंदर्य, उनकी चिन्ता और भावप्रवणता से अवगत तो कराती ही हैं उनके काव्यशिल्प को, उनकी काव्यभाषा को भी तय करती हैं। उनकी कविताएं स्त्री-प्रश्न, पुरुष-दम्भ, साम्प्रदायिक हिंसा, किसानों की आत्महत्याओं, दिहाड़ी मज़दूरों की स्थिति, चरमराती अर्थ-व्यवस्था, मानवीय सम्बंधों में आई दरारें, घरों के टूटने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के निशाने पर होने की विडम्बना को शोकाकुल मन से केंद्रीयता देती हैं।

एक सचेतन नागरिक और संवेदनशील कवि दोनों स्तरों पर वह मुद्दों को सघनता के साथ मार्मिक काव्याभिव्यक्ति देती हैं। ऐसा करते वह अक्सर एक कथात्मक स्थापत्य के शिल्प को गढ़ती हैं। उनकी कविताओं में कई बार उनके कहानीकार का हस्तक्षेप भी मर्म को छूता है। क्योंकि उनकी विकलता हमें उनके संवेदन के गहन स्तर तक ले जाती है जहाँ पाठक के लिए उनकी रचनाधर्मिता के उत्स तथा रचना-प्रक्रिया को समझना सरल हो जाता है। उनकी अंतःचेतना में उनके मनोवेगों , मनोभावों, जुड़ावों, वेदनाओं तथा उनकी छोटी छोटी मानवीय इच्छाओं, अंतर्द्वन्द्वों और उनके सपनों को चाक्षुष बिंबों सा स्पष्ट देखता है। कई कविताओं में उनकी कवि दृष्टि दिक्‌ और काल के इतर मानवीय नियति के प्रश्न को भी मार्मिक ढंग से उठाती है।

पन्ना त्रिवेदी की कविताएं असहाय लोगों की चीखें सुनकर लुत्फ उठाने वाले ताकतवर लोगों को ही नहीं, बल्कि भगवान को भी कठघरे खड़ा करती हैं; क्योंकि ‘एक जिन्दगी में सौ मौतें’ मरकर भी उसे सत्ता की ‘अष्टभुजाओं से कहीं अधिक विश्वास अपने निहत्थे हाथों पर है। ये वे मुक्तिकामी हाथ हैं जिन्हें कोई सत्ता प्रतिष्ठान खरीद नहीं सकता। कविताओं में प्रतीक, रूपक, बिंब-विधान, उपमाएं व तुलनाएं सहज ही कविता के पाठक का ध्यानाकर्षित करती हैं, इसलिए नहीं कवयित्री कोई सायास चमत्कार पैदा करती हैं, बल्कि उनमें सौन्दर्यबोध की एक नव्यता मिलती है।

मुझे आशा है पन्ना त्रिवेदी की कविताओं का हिन्दी के पाठक स्वागत करेंगे।

– अग्निशेखर

 

अनुक्रम

  • बचा हुआ आदमी
  • आवाज़ के मलबे
  • चाय पर चर्चा
  • नमक
  • बहिष्कृत
  • ताकतवर लोग
  • लॉकडाउन के दिनों में : एक
  • लॉकडाउन के दिनों में : दो
  • लॉकडाउन के दिनों में : तीन
  • लॉकडाउन के दिनों में : चार
  • मेरे शहर की नदी
  • एक दिन
  • काला सवेरा
  • उँगली
  • हाथ
  • तूतनखान की ममी
  • मोमबत्ती
  • अज्ञातवास
  • आत्मकथा
  • वन-प्रवेश
  • काला समुद्र
  • सुबह के वक़्त कविता लिखती औरत
  • लड़कियाँ
  • पंख में बारिश
  • माँ : एक
  • माँ : दो
  • माँ : तीन
  • माँ के घर की बारिश
  • रोटियाँ
  • वे ज़माने कुछ और थे
  • कठघरे में भगवान
  • दूसरा आदमी
  • वापसी
  • सूरज : एक
  • सूरज : दो
  • घर और रास्ते
  • डर
  • सच
  • ज़िंदगी
  • बरसों बाद
  • गुस्ताख़ी
  • मौत
  • मुलाक़ात
  • लाल इश्क़
  • ज़िंदगी की उम्र
  • सफ़र
  • एक प्यार ऐसा भी
  • गुज़ारिश
  • सपने

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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