Pathik

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Pathik

Pathik

150.00 140.00

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Author: Gurudutt

Availability: 5 in stock

Pages: 336

Year: 2004

Binding: Hardbound

ISBN: 0

Language: Hindi

Publisher: Hindi Sahitya Sadan

Description

पथिक

युवावस्था से ही राजनीतिज्ञों से सम्पर्क, क्रान्तिकारियों से समीप का सम्बन्ध तथा इतिहास का गहन अध्ययन-इन सब की पृष्ठभूमि पर श्री गुरुदत्त ने कुछ उपन्यास लिखे हैं।

‘स्वाधीनता के पथ पर’ ‘पथिक’ तथा ‘स्वराज्यदान’ राजनीतिक उपन्यासों की श्रृंखला में प्रथम तीन कढ़ियां हैं जिन्होंने उपन्यास जगत् में धूम मचा दी थी। श्री गुरुदत्त चोटी के उपन्यासकार माने जाने लगे।

इन उपन्यासों की श्रृंखला में ही ‘विश्वासघात, ‘देश की हत्या’, ‘दासता के नये रूप’ तथा ‘सदा वत्सले मातृभूमे !’ लिखकर श्री गुरुदत्त ने 1920 से स्वाधीनता आन्दोलन का विवरण उपन्यासों के रूप में अत्यन्त ही रोचक शैली में लिपि-बद्ध कर दिया है

श्री गुरुदत्त का प्रथम उपन्यास ‘‘स्वाधीनता के पथ पर’’ 1942 में प्रकाशित हुआ और इस प्रथम उपन्यास ने ही श्री गुरुदत्त को चोटी के उन्पायसकारों में ला बैठाया। कथावस्तु की दृष्टि से तथा रोचकता की दृष्टि से भी यह उपन्यास अन्यतम है।

श्री गुरुदत्त की ख्याति बढ़ती गई और एक सर्वेक्षण के अनुसार 1960 & 1970 के दशक के वह सर्वाधिक पढ़े जाने वाले उपन्यासकार थे।

‘स्वाधीनता के पथ पर’ का नायक मधुसूदन, गांधीवाद, सत्याग्रह, साम्यवाद, आतंकवाद आदि की प्रचंड लहरों के आलोड़न-विलोड़न को देखता और स्वयं भी उनमें पड़कर संघर्ष के थपेड़ों द्वारा पूर्णिमा की मृत्युरूपी कठोर चट्टान पर गिरकर विक्षिप्त हो गया था। वही लेखक के इस दूसरे उपन्यास में ‘पथिक’ के नाम से फिर कार्यक्षेत्र में पर्दापण करता है। आजादी मिली नहीं इसलिए फिर संघर्ष आवश्यक है।

यह पुस्तक हिन्दू-मुस्लिम समस्या पर स्पष्टत: और स्वतन्त्रता से इस रूप में लिखा गया प्रथम उपन्यास है।

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Hardbound

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Language

Hindi

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Publishing Year

2004

Pulisher

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