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Description
पटरंगपुर पुराण
मृणाल पांडे रचनात्मक गद्य की गहराई और पत्रकारिता की सहज सम्प्रेषणीयता से समृद्ध मृणाल पांडे की कथाकृतियाँ हिंदी जगत में अपने अलग तेवर के लिए जनि जाती हैं। उनकी रचनाओ में कथा का प्रवाह और शैली उनका कथ्य स्वयं बुनता है। ‘पटरंगपुर पुराण’ के केंद्र में पटरंगपुर नाम का एक गाँव है जो बाद में एक कसबे में तब्दील हो जाता है। इसी गाँव के विकास-क्रम के साथ चलते हुए यह उपन्यास कुमायूं-गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्र के जीवन में पीढ़ी-दर-पीढ़ी आए बदलाव का अंकन करता है। कथा-रस का सफलतापूर्वक निर्वाह करते हुए इसमें कलि कुमायूं के राजा से लेकर भारत को स्वतंत्रता-प्राप्ति तक के समय को लिया गया है। परिनिष्ठित हिंदी के साथ-साथ पहाड़ी शब्दों और कथन-शैलियों का उपयोग इस उपन्यास को विशेष रूप से आकर्षित बनता है, इसे पढ़ते हुए हम न केवल सम्बंधित क्षेत्र के लोक-प्रचलित इतिहास से अवगत होते हैं, बल्कि भाषा के माध्यम से वहां का जीवन भी अपनी तमाम सांस्कृतिक और सामाजिक भंगिमाओं के साथ हमारे सामने साकार हो उठता है। कहानियों-किस्सों की चलती-फिरती खां, विष्णुकुटी की आमा की बोली में उतरी यह कथा सचमुच एक पुराण जैसी ही है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2010 |
Pulisher |
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