Pauranik Prasang

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Pauranik Prasang

Pauranik Prasang

80.00 79.00

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80.00 79.00

Author: Swami Avdheshanand Giri

Availability: 10 in stock

Pages: 208

Year: 2019

Binding: Paperback

ISBN: 9788131014370

Language: Hindi

Publisher: Manoj Publications

Description

पौराणिक प्रसंग

पुराणों को कुछ लोग कपोल-कल्पित मानते हैं। लेकिन ऐसा कहने वाले नहीं जानते कि हिंदू शास्त्रों में इनका अपना वैशिष्ट्य है। पुराणों की एक निश्चित परिभाषा है। कथा-कहानियों के संकलन या संग्रह को पुराण नहीं कहा जा सकता। वेदों का अध्ययन करना प्रत्येक के बस की बात नहीं है। इनके स्वाध्याय की एक सुनिश्चित प्रक्रिया है, जिसके लिए शारीरिक-मानसिक योग्यता के साथ ही संपूर्ण समर्पण चाहिए। ऋषियों द्वारा प्रतिपादित इस विज्ञान को समझने के लिए उनके जैसा जीवन भी चाहिए।

वेद प्रतिपादित ज्ञान को ही सरल सुगम रूप में महर्षि व्यास ने पुराणों में प्रस्तुत किया है। पुराणों की भाषा कहीं-कहीं अत्यंत गूढ़ है, जहां वे दार्शनिक और वैज्ञानिक विश्लेषण करते हैं। इन कथाओं में बहुत कुछ ऐसा है, जिसकी कुछ वर्षों पूर्व आधुनिक भद्र समाज में हंसी उड़ाई जाती थी, लेकिन जो आज विज्ञान-सम्मत है। इसी के आधार पर अन्य कई संकेत भी भविष्य में इसी परिधि में आ जाएंगे, ऐसी आशा की जा सकती है।

यहां एक बात विशेष रूप से जानने योग्य है कि पुराणों में कहे गए सूत्रों के अर्थ की समझ के लिए विशेष प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता है। उपनिषदों और वेद के प्रतिपादित तत्त्व का विवेचन करने में कभी-कभी शब्द छोटे पड़ जाते हैं। ऐसे में लक्ष्यार्थ को पकड़ने की सूक्ष्म बुद्धि होनी चाहिए। ऐसा न होने पर चूक होने की संभावना बनी रहती है।

इस पुस्तक में पुराणों में आए विशेष प्रसंगों को लिया गया है। ये जहां तत्कालीन सभ्यता-संस्कृति का परिचय देते हैं, वहीं ऐसे बूस्टर का काम करते हैं जो जड़ बन चुकी संवेदना में चेतना का संचार करे। मुझे विश्वास है कि इनसे व्यक्ति और समाज के चरित्र को सुदृढ़ करने में जहां सहायता मिलेगी, वहीं जिज्ञासु साधक इन्हें पढ़कर अपने कई ऐसे प्रश्नों का समाधान स्वयमेव प्राप्त कर सकेंगे, जिनकी खोज वे बरसों से कर रहे हैं।

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Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

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