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Description
फाँस
हिन्दी-मराठी की सन्धि पर खड़ा संजीव का नया उपन्यास है। ‘फाँस’-सम्भवतः किसी भी भाषा में इस तरह का पहला उपन्यास। केन्द्र में है विदर्भ और समूचे देश में तीन लाख से ज्यादा हो चुकी किसानों की आत्महत्याएँ और 80 लाख से ज़्यादा किसानी छोड़ चुके भारतीय किसान। यह न स्विट्जरलैंड की ‘मीकिलिंग का मृत्यु उत्सव’ है, न ही असम के जोराथांगा की ज्वाला में परिन्दों के ‘सामूहिक आत्मदाह का उत्सर्ग पर्व’ । यह जीवन और जगत से लांछित और लाचार भारतीय किसान की मूक चीख है। विकास की अन्धी दौड़ में किसान और किसानी की सतत उपेक्षा, किसानों की आत्महत्या या खेती छोड़ देना सिर्फ अपने देश की ही समस्या नहीं है, पर अपने देश में है सबसे भयानक। यहाँ हीरो होंडा, मेट्रो और दूसरी उपभोक्ता सामग्रियों पर तो रियायतें हैं मगर किसानी पर नहीं। बिना घूस-पाती दिये न नौकरी मिलने वाली, न बिना दहेज दिये बेटी का ब्याह। बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, हारी-बीमारी, सुरसा के मुँह की तरह बढ़ती समस्याएँ! फर्ज और कर्ज के दलदल में डूबता ही चला जाता है विकल्पहीन जीवन। गले का फाँस बन गयी है खेती।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
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