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Description
प्राच्य विद्या के विविध आयाम
भारतीय सांस्कृतिक तत्त्वों के अनेक अस्पृष्ट अथवा अंशतः स्पृष्ट पृष्ठों के नवीन दृष्टिकोण से विवेचन का प्रयास है। पुस्तक में प्रकाशित लेख लेखक के अथक् परिश्रम एवं पठन-पाठन के प्रति अध्यवसाय का परिणाम है। लेखों के शीर्षक से यह स्पष्टतः प्रतिभासित होता है कि लेखक ने संस्कृत वाङ्मय के साथ-साथ इतिहास का भी गम्भीरता से आलोड़न किया है। अतः पुस्तक में संकलित लेख विज्ञ पाठकों तथा शोधार्थियों के लिए उपादेय पाथेय सिद्ध होंगे।
अनुक्रमणिका
★ पुरोवाक्
★ आमुख
★ संस्कृत काव्य एवं अभिलेखों में प्रयागस्थ सङ्गम
★ कठोपनिषद् का इष्टापूर्त : आभिलेखीय संदर्भ
★ कौटिलीय अर्थशास्त्र में कर-प्रबन्धन
★ मौर्य कालीन साहित्य एवं पुरातत्त्व में अश्व-गज
★ मृच्छकटिक में सङ्गीत तत्त्व
★ कौटिल्य और पर्यावरण
★ ईसा पूर्व में वैदिक यज्ञ : पुरातात्तविक साक्ष्य
★ अर्थशास्त्र में उल्लिखित पशु-पक्षी एवं अन्य प्राणी
★ मौर्य काल में वस्त्र उद्योग
★ मेघदूत में लोक सांस्कृतिक तत्त्व
★ कौशाम्बी की मृण्मूर्तियों में हस्ति
★ कालिदास के अभिज्ञानशाकुन्तल में मत्स्य-प्रसङ्ग
★ मेघदूत में महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक संदर्भ
★ नागार्जुन और रसायन विज्ञान
★ हर्ष के अभिलेखों में कलापरक संदर्भ
★ कलचुरिकालीन कवि और उनका काव्य
★ बुन्देलखण्ड में प्रतिहारकालीन अभिलेख एवं शिल्प
★ संस्कृत साहित्य एवं कलचुरि अभिलेखों में उदकघात
★ महीपाल का असनी प्रस्तर अभिलेख और संस्कृत कवि राजशेखर
★ कलचुरि अभिलेखों में गङ्गा माहात्म्य
★ प्राचीन भारत में सामाजिक संरचना : आभिलेखीय संदर्भ
★ राजशेखर की कृतियों में ऐतिहासिक तत्त्व
★ कलचुरि अभिलेखों में सूर्य एवं सूर्य-पुत्र रेवन्त
★ कौशाम्बी से प्राप्त कलचुरि अभिलेख : एक नवीन विमर्श
★ प्राचीन अभिलेखों में इतिहास-बोध
★ Art on Seals of the Kalachuri Kings
★ नामानुक्रमणिका
★ संदर्भ ग्रन्थ
Additional information
Authors | |
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ISBN | |
Binding | Hardbound |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher |
Reviews
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