Prarabdha

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Prarabdha

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595.00 450.00

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Author: Ashapurna Devi

Availability: 5 in stock

Pages: 354

Year: 2023

Binding: Hardbound

ISBN: 9789355189448

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

प्रारब्ध
पुरुष की बड़ी से बड़ी कमज़ोरी समाज पचा लेता है लेकिन नारी को उसकी थोड़ी सी चूक के लिए भी पुरुष समाज उसे कठोर दण्ड देता है जबकि इसमें उसकी लिप्सा का अंश कहीं अधिक होता है। वास्तव में नारी अपने मूल अधिकारों से तो वंचित है, लेकिन सारे कर्तव्य और दायित्व उसके हिस्से मढ़ दिये गये हैं।

आशापूर्णा का मानना है कि नारी का जीवन अवरोधों और वंचना में ही कट जाता है, जिसे उसकी तपस्या कहकर हमारा समाज गौरवांवित होता है। इस विडम्बना और नारी जाति की असहायता को ही वाणी मिली है यशस्वी बांग्ला कथाकार के इस अनुपम उपन्यास में।

 

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Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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