Pratinidhi Kahaniyan : Mamta Kaliya

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Pratinidhi Kahaniyan : Mamta Kaliya

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Author: Mamta Kaliya

Availability: 5 in stock

Pages: 144

Year: 2018

Binding: Paperback

ISBN: 9788126726509

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

प्रतिनिधि कहानियाँ : ममता कालिया

ममता कालिया ने जब कहानियाँ लिखनी शुरू की, नई कहानी का आन्दोलन पूरी तरह समाप्त को चुका था और उसके बाद की पीढी कहानी में अपनी पहचान करा चुकी थी। इन कहानियों में मध्य और निग्न-मध्य यहाँ को विडम्बनाओं, हताशाओं और पाखंड को गहरी संवेदनात्मक अंतर्दृष्टि के साथ अंकित किया गया था।

ममता कालिया की कहानियाँ, भाषा एवं काव्योपकरणों के स्तर पर नईं कहानी वाली चित्रात्मकता और निर्मल वर्मा की कहानियों के प्रसंग में चर्चा में आई संगीतपूर्ण भाषा के उपयोग का कोई साक्ष्य नहीं देतीं। वे उस प्रतीक-विधान और बिम्ब-बहुलता से भी बचती है जिसके अतिरेक की चर्चा देवीशंकर अवस्थी ने राजेन्द्र यादव की कहानियों के प्रसंग में की थी। उनकी कहानियाँ प्रायः छोटे-छोटे घटना-प्रसंगों की कहानियाँ हैं।

ममता कालिया की कहानियों में स्त्री अपने पूरे सामाजिक परिपेक्ष्य में अंकित है। चालू और फैशनेबुल स्त्री-विमर्श के नाम पर स्त्री की आजादी को वे न तो सिर्फ देह के स्तर पर उतारकर देखती हैं और न ही परिवार को स्त्री के लिए एक पिंजरा मानती हैं जिसे तोड़कर स्वच्छंद विचरने में ही उसकी मुक्ति है। जीवन और कलावाद की शाश्वत बहस में ममता कालिया किसके साथ हैं, इसे उनकी कहानी ‘सेमिनार’ में देखा जा सकता है। यह अकारण नहीं है कि उनकी भाषा में एक खास तरह की तुर्शी है जिसकी मदद से वे सामाजिक विद्रूपताओं पर व्यंग्य का बहुत सधा और सीधा उपयोग करती हैं।

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2018

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