Pratinidhi Kahaniyan : Mithileshwar
Pratinidhi Kahaniyan : Mithileshwar
₹199.00 ₹149.00
₹199.00 ₹149.00
Author: Mithileshwar
Pages: 147
Year: 2023
Binding: Hardbound
ISBN: 9788171785797
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
प्रतिनिधि कहानियाँ : मिथिलेश्वर
जाने-माने कथाकार मिथिलेश्वर हिन्दी कथा-साहित्य में एक अलग महत्त्व रखते हैं। प्रेमचंद और रेणु के बाद हिन्दी कहानी से जिस गाँव को निष्कासित कर दिया गया था, अपनी कहानियों में मिथिलेश्वर ने उसी की प्रतिष्ठा की है। दूसरे शब्दों में, वे ग्रामीण यथार्थ के महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं और उन्होंने आज की कहानी को संघर्षशील जीवन-दृष्टि तथा रचनात्मक सहजता के साथ पुनः सामाजिक बनाने का कार्य किया है। इस संग्रह में शामिल उनकी प्रायः सभी कहानियाँ बहुचर्चित रही हैं।
ये सभी कहानियाँ वर्तमान ग्रामीण जीवन के विभिन्न अन्तर्विरोधों को उद्घाटित करती हैं, जिससे पता चलता है कि आजादी के बाद ग्रामीण यथार्थ किस हद तक भयावह और जटिल हुआ है। बदलने के नाम पर गरीब के शोषण के तरीके बदले हैं और विकास के नाम पर उनमें शहर और उसकी बहुविध विकृतियां पहुँची हैं। निस्सन्देह इन कहानियों में लेखक ने जिन जीवन-स्थितियों और पात्रों का चित्रण किया है, वे हमारी जानकारी में कुछ बुनियादी इजाफा करते हैं और उनकी निराडंबर भाषा-शैली इन कहानियों को और अधिक सार्थक बनाती हैं।
अनुक्रम | ||||
बाबूजी | 9 | |||
बन्द रास्तों के बीच | 23 | |||
दूसरा महाभारत | 34 | |||
मेघना का निर्णय | 47 | |||
तिरिया जनम | 64 | |||
हरिहर काका | 81 | |||
जी का जंजाल | 103 | |||
जंगल होते शहर | 118 | |||
सावित्री दीदी | 130 | |||
थोड़ी देर बाद | 140 |
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.