Pratiroop
Pratiroop
₹250.00 ₹190.00
₹250.00 ₹190.00
Author: Manoj Kumar Pandey
Pages: 160
Year: 2024
Binding: Paperback
ISBN: 9789360863135
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
प्रतिरूप
मनोज कुमार पांडेय का पाँचवाँ कहानी-संग्रह है। इस संकलन में मौजूद सभी कहानियाँ अपने आपको अलग-अलग ढंग से कहती हैं। स्मृति, स्वप्न, फंतासी, स्वगत, एकालाप, इन सभी विधियों से उन्होंने जीवन के कुछ विशिष्ट क्षणों को पकड़ा है। बचपन का चित्रण इस संग्रह की एकाधिक कहानियों में हुआ है; और वह सचमुच ही हम सबकी स्मृतियों के इस मूल्यवान खंड को आलोकित कर जाता है। ‘खेल’ और ‘बिच्छू’ इस लिहाज से बेहद सशक्त कहानियाँ हैं।
प्रेम को महसूस करने और एक रचनाकार की हैसियत से उसे शब्द देने की कला उनके पास अनुपम है। इस संग्रह में शामिल ‘पुरइन की ख़ुशबू’ जितनी कहानी है, उससे ज्यादा कविता है जो गन्ध की तरह हमारे अनुभव का हिस्सा हो जाती है। इसी तरह ‘पैर’ शीर्षक कहानी भी, जो प्रेम के एहसास को संवेदना के एक अपेक्षाकृत वयस्क इलाक़े में लेकर जाती है। दरअसल, कवि-कथाकार मनोज पांडेय ने कविता और कहानी दोनों ही विधाओं में अपनी एक निजी भाषा विकसित की है। कहानी की बात करें तो भाषा के साथ विभिन्न कथा-प्रविधियों में काम लेने की भी उनमें अद्भुत क्षमता है।
‘जेबकतरे का बयान’ और ‘तितलियाँ’ भी ग़ैर-पारम्परिक इलाकों में देखने की उनकी ललक को दर्शाती हैं जिनमें उन्होंने सभ्य समाज की निगाह में अपराधी माने जाने वाले लोगों के मन में झाँकने की कोशिश की है। समकालीन समय की राजनीतिक, सामाजिक और पेशागत कई चुनौतियों को सम्बोधित कहानियाँ भी इस संग्रह में शामिल हैं जो हमारे समय की भयावहताओं को अलग-अलग ढंग से रेखांकित करती हैं।
एक पठनीय कथा-संग्रह !
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2024 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.