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Description
प्रेम में डर
हाल के बरसों में जिन कवियों ने अपनी प्रतिभा और काव्य-आचरण से समस्त हिन्दी पाठक समुदाय को सम्मोहित और चमत्कृत किया है, उनमें निवेदिता जी अग्रणी हैं। रोज़मर्रा के सुख-दुख से लेकर पूरे देश और संसार की ज्वलन्त समस्याओं पर जिस शिद्दत और त्वरा से निवेदिता ने लिखा है, वह विरल है। ये कविताएँ गहरे अर्थों में राजनीतिक हैं क्योंकि यहाँ राजनीति सीधे-सीधे मनुष्य की नियति से जुड़ी है। फिर भी निवेदिता की कविताएँ कभी भी अतिमुखर या वाचाल नहीं होतीं। अपने समय के ज़ख्मों की शिनाख़्त करती ये कविताएँ प्रेम के पक्ष में अडिग खड़ी होती हैं और इस तरह वर्तमान अँधेरे का एक प्रकाश-प्रतिपक्ष रचती हैं।
निवेदिता जी निपुण कलाकार हैं। नये बिम्बों के साथ यहाँ भाषा का एक नया संस्कार है जो कविताओं को कसाव तथा दृढ़ता प्रदान करता है। यह दूसरा संग्रह भी पहले संग्रह की ही तरह सहृदय पाठकों का कण्ठाभरण बनेगा, ऐसी आशा है।
– अरुण कमल
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher |
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