Purvi Shauka Kshetra Jyong khu ke Niwas Raang

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Purvi Shauka Kshetra Jyong khu ke Niwas Raang

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Author: Padma Gabriyal Rijniya

Availability: 5 in stock

Pages: 432

Year: 2017

Binding: Hardbound

ISBN: 9788179652770

Language: Hindi

Publisher: Taxshila Prakashan

Description

पूर्वी शौका क्षेत्र ज्युङ्ग-खू के निवासी राङ्ग

इस पुस्तक में विशेष रूप से ज्युङ्ग-खू (वर्तमान शौका क्षेत्र ब्याँस, चौदास तथा दारमा, जिला पिथौरागढ, उत्तराखंड़) के निवासी रांग लोगों का मूल इतिहास, धर्म, भाषा, संस्कृति आदि का विशद्‌ वर्णन मिलता है। ज्युङ्ग-खू को रांग जाति के लोगों का मूल प्राचीन पश्चिमी देशों से जुड़ता है। रांग लोग रोमन लोगों की पीढ़ियों में से होने के कारण अपने को रांग कहते थे। वे पश्चिमी देशों में रहते समय से ही रोमन धर्म से प्रभावित ‘मानीक्या-धर्म को मानते थे। इस कारण शायद रांग व्यापारी लोग रोमन धर्म से प्रभावित मानीक्या धर्म को अपने साथ ज्युङ्ग-खू तक ले आये थे। इसी कारण मानीक्या-धर्म की छत्रछाया में रहते हुए भी रांग लोग अपने धर्म को रांग धर्म कहने लगे थे जो आज भी ज्युङ्ग-खू में मौजूद है।

भारत आने से पहले रांग लोगों की अपनी भाषा ‘लिंगुआ-रोमना’ थी। ज्युङ्ग-खू आने को बाद रांग लोग अपनी मूल नीति को भूल चुके थे। इसलिए वे अपना साहित्यिक कार्य करने में असमर्थ ही रहे। ‘रांग-ल्व’ या ‘रांग-बोली’ ‘लिंगुआ-रोमना’ के अंतर्गत आने वाली बोलियों में से एक बोली है। ‘लिंगुआ-रोमना’ काफ़ी व्यापक लैटिन भाषा का एक सरल रूप था। ‘रांग-ल्व’ यानी ‘रांग भाषा’ में अनेक देशों की प्राचीन बोलियों और भाषाओं के शब्द मिले हुए होने को कारण वह एक बहुत कठिन भाषा और बोली बन गई है।

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Hardbound

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Language

Hindi

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Publishing Year

2017

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