Purvottar Ki Janjatiya Krantiyan
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पूर्वोत्तर की जनजातीय क्रांतियाँ
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में देश के कोने-कोने से और आम से लेकर खास तक ने अपना-अपना योगदान दिया था। बड़े-बड़े नेताओं के अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष और लड़ाई को सबने देखा और जाना, किंतु उनके योद्धा ऐसे भी थे जिनके योगदान गुमनाम और अलेखित रह गए। पूर्वोत्तर भारत के छोटे-छोटे पहाड़ी राज्यों की जनजातियों की लड़ाई और क्रांतियाँ ऐसी ही थीं जो प्रकाश में नहीं आ पाईं या जिन पर अधिक ध्यान नहीं जा सका। इसका मतलब यह कतई नहीं कि पूर्वोत्तर की जनजातियों के अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका ही नहीं थी। यह पुस्तक पूर्वोत्तर भारत की जनजातियों – मिजो, लेपचा-भूटिया, खासी, गारो, जयंतिया, नगा, डिमासा, कूकी, कबुई, रियाँग आदि की भारत की स्वाधीनता की लड़ाई में अप्रतिम वीरता के साथ संघर्ष को देशवासियों के समक्ष लाने का एक प्रयास है। इस क्रम में पूर्वोत्तर की अनेक अज्ञात या अल्पज्ञात जनजातीय क्रांतियों से देशवासी परिचित हो सकेंगे।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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