Raghuvir Sahay Sanchayita

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Raghuvir Sahay Sanchayita

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300.00 250.00

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300.00 250.00

Author: Krishna Kumar

Availability: 10 in stock

Pages: 272

Year: 2003

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126706617

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

रघुवीर सहाय संचयिता

रघुवीर सहाय (1929–90) का एक रूप आधुनिक मिजाज के प्रतिनिधि का है, दूसरा आधुनिकता के समीक्षक का। उनके रचना जगत को इन दोनों रूपों में देखना और इन रूपों के बीच एक अँधेरा–सा छोड़ देना आसान भी है, उचित भी। आसान इस कारण है कि आधुनिक मिजाज और उसकी अभिव्यक्ति के पर्याय समझे जानेवाले लक्षण रघुवीर सहाय के जीवन–वृत्त में उतनी ही सुविधा से पहचाने जा सकते हैं जितनी सुविधा से हम इन पर्यायों की कठोर नैतिक जाँच रघुवीर सहाय के लेखन कविता और गद्य, दोनों में ढूँढ़ सकते हैं। उचित इसलिए है क्योंकि निरे तार्किक विश्लेषण और उसके आधार पर फैसला ले लेने या सुना देने की प्रवृत्ति से सचेत होकर बचने की चिन्ता रघुवीर सहाय की रचनाओं में गहरे बैठी दिखाई देती है। विश्वास के साथ दुविधा और भय रघुवीर सहाय का प्रतिनिधि स्वभाव है। इसीलिए उन्हें आधुनिकता का प्रतिनिधि और समीक्षक, दोनों कहना सही है।

सम्प्रभु राज्य और लोकतन्त्र आधुनिकता की इन दो सबसे विराट संरचनाओं को रघुवीर सहाय ने प्रसार माध्यमों के जरिए ही सबसे ज्यादा जाना। इन संरचनाओं के चरित्र और बल से आकार लेते हुए सामाजिक इतिहास में रघुवीर सहाय की अपनी हिस्सेदारी मुख्यत: पत्रकारिता के माध्यम से सम्पन्न हुई। ‘दिनमान’ साप्ताहिक को एक प्रसार–माध्यम से ज्यादा संवाद–माध्यम बनाना निश्चय ही उनके पेशेवर जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष था। रघुवीर सहाय के काव्य का एक बड़ा और महत्त्वपूर्ण हिस्सा इस संघर्ष की पृष्ठभूमि में समझे जाने पर ही खुलता है।

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Hardbound

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Publishing Year

2003

Pulisher

Language

Hindi

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