Ragini

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Ragini

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199.00 147.00

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199.00 147.00

Author: Gopal Singh 'Nepali'

Availability: 5 in stock

Pages: 104

Year: 2024

Binding: Paperback

ISBN: 9789360866501

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

रागिनी

नेपाली जी में साहित्य की एक प्रखर प्यास है, जिसके बुझने पर साहित्य का कल्याण निर्भर है।

—सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

वह तो मैं हूँ, जो हँसता हूँ/मस्ती है, कुछ गाता हूँ

जो रोते हैं उन्हें मनाकर/अपना गीत सुनाता हूँ

सन् 1935 में पहली बार प्रकाशित नेपाली जी का ‘रागिनी’ काव्य-संग्रह जीवन और संसार के विभिन्न पक्षों को सम्बोधित कविताओं का संकलन है।

यह काव्य का सहज प्रवाह है, जिसे कवि अबाध, हर क्षण न केवल अपने भीतर बहने देता है, बल्कि कविता के अनुशासन में रचकर उसे हमारे पास तक भी पहुँचाता है।

‘वंदगी’ शीर्षक कविता में अपने अन्तस के कृतज्ञता भाव को चर-अचर जगत को समर्पित करते हुए जब वे कहते हैं : वंदे तरु के पीले पत्ते, जिनमें कुछ रस-धार न हो; वैसे यहाँ न हों प्रेमी, तो सच कह दूँ संसार न हो तो कविता जैसे अपनी सर्वांग चिन्ता के साथ हमारे सम्मुख प्रकट हो उठती है।

कवि के अनुसार, साहित्य में आत्मीयता का बड़ा महत्त्व है। यहाँ स्नेह की, संवेदना की सरिता कूल-किनारों को डुबा-डुबाकर बहती है।

कविता के प्रति यह आस्था ही गोपाल सिंह नेपाली को एक विशिष्ट कवि बनाती है जिन्होंने जीवन-भर उसे एक ध्वज की तरह उठाए रखा।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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