Ram Naam Sundarkand

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Ram Naam Sundarkand

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120.00 119.00

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Author: Sunil Gombar

Availability: 4 in stock

Pages: 112

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9788190304399

Language: Hindi

Publisher: J. B. CHARITABLE TRUST

Description

राम नाम सुन्दरकाण्ड

आत्म निवेदन

राम नाम अंकित अति सुंदर

राम नाम से अलंकृत सुंदरकाण्ड

भक्ति भावना का अंतर्मन में प्राकट्य मूलतः प्रभु अनुकम्पा ही होती है। यो मां पश्यति सर्वत्र सर्व च मपि पश्यति तो गीता में स्वयं श्री भगवान की ही वाणी है। मन बुद्धि के पूर्ण समर्पण से प्रभु में ही आत्मसात हो जाने की चर्चा भी गीता में श्री कृष्ण कर गये हैं –

“मय्येव मन आपस्तव मयि बुद्धिं निवेशय”

और इस सूत्र वाक्य के मूल स्परूप श्री हनुमान जी तो सत्प्रेरक सद्‌गुरू ही हैं – आप की तो घोषणा ही रही है कि – “राम एव परं ब्रह्म राम एव परं तपः।”

श्री राम रहस्य के मूल ज्ञाता आपके लिये तो तुलसी जी लिखते हैं – “सीता राम (गुण ग्राम) पुण्यारण्य विहारिणौ”। ऐसे श्री हनुमान जी की कृपा का प्रसाद और परम प्रभु की प्रेरणा जब अपने प्रिय पात्र को प्रदत्त होती है तो चहुँ ओर “राम” ही राम का आत्मिक प्रकाश आलोकित होता है। कण कण में राम को ही देखने वाली हनुमत सत्ता की कृपा से प्राप्त अंर्तदृष्टि और राम तत्व के मूल को ही समर्पित हैं नाम को सार्थक धन्य करने वाले श्री रामचन्द्र मोरारका।

श्री मोरारका ऐसे ही बड़भागी है जिन पर अलौकिक आंजनेय कृपा और प्रभु सत्प्रेरणा की अमृत वाणी से आपने अनूठी ही कृति बना डाली है।

‘सीय राम मम सब जग जानी’ – के एकरूप अलौकिक आनंद और हनुमद्‌ प्रेरणा से आप राम नाम में राम नाम से ही गुंथी-लिखी ‘श्री हनुमान चालीसा’ के पश्चात्‌ उसी प्रसाद के रूप में हनुमत इच्छा का मूर्तरूप उनका परम प्रिय ‘सुन्दरकाण्ड’ रच गये। अक्षर अक्षर में इसमें राम समाया है। यह हनुमान जी की ही इच्छा और शक्ति का प्रताप है – ऐसा मानना है श्री रामचन्द्र मोरारका का। “राम नाम” से ही लिखी रची सुंदरकाण्ड की सुदंर चौपाइयाँ – दोहे मंगलाचरण सभी में राम नाम समाया है। सूक्ष्म का सूक्ष्म उदय – सूक्ष्म प्राकट्य प्रसाद ही है यह “सुंदरकाण्ड’’।

उनके शब्दों में यह मात्र और मात्र श्री राम जी की कृपा और उस कृपा के द्रुतगामी वाहक श्री हनुमान जी का ही प्रताप रहा है कि उस अलौकिक सत्ता की सूक्ष्म अंर्तशक्ति और यह सुंदर सा ‘सुंदरकाण्ड’ बन गया।

श्री हनुमान जी के इस कृपा प्रसाद स्वरुप – श्री रामचंद्र मोरारका द्वारा अलंकृत ‘‘सुंदरकाण्ड” को हम भक्तों तक पहुँचा रहे हैं। यह प्रेरणा और मंगल मूरत जी का ही है।

जे०बी० चैरिटेबल ट्रस्ट सदा ही आप तक ऐसे कृपापात्रों के प्रयासों को पहुँचाता रहे, यह आर्शीवाद और कामना तो हमारी अपने आराध्य श्री हनुमान जी महाराज से सर्वदा ही रहती आयी है और ऐसे कृपालु हैं श्री रामदूत जी कि सदा ही सहाय रहते आये हैं। अनूठे भक्तों के चमत्कारी कार्य कलापों की एक कड़ी यह ‘सुन्दरकाण्ड’ हम आपकी सेवा में लोकार्पित कर रहे हैं। अपार हर्ष के साथ आइये हम इसे निहारें – पारायण करें – अपने अपने पूजा घरों में सदा इसे सुरक्षित रखें और हनुमानजी की सत्प्रेरणा और प्रभु कृपा के प्रसाद से सदा आंनदित रहें लाभान्वित हों। ऐसा सुदंर ‘‘सुंदरकाण्ड” है यह कि बरबस ही स्मरण हो आती है तुलसी जी की यह पंक्तियाँ – यह हनुमत वदंना जो वह लिख गये हैं।

सुमिरि पवनसुत पावन नामू।

अपने बस करि राखे रामू।।

श्री रामचंद्र मोरारका को हार्दिक स्नेह-आभार और नमन और आप सभी सुधी भक्तों को आपके सहयोग की भावना को सादर नमन करते।

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Binding

Paperback

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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