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Description
रामचरितमानस अवधी-हिन्दी कोश
तुलसीदास का महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ एक अप्रतिम क्लैसिक है। वह सदियों पहले लिखी गयी काव्य-गाथा भर नहीं है – वह आज भी सन्दर्भ, पाठ, प्रस्तुति, जनव्याख्या, संगीत-नृत्य-नाट्य में सजीव, सक्रिय और प्रासंगिक कविता है। हिन्दी में जितने पाठक, रसिक, व्याख्याकार, अध्येता, भक्त इस काव्य के हैं उतने किसी और काव्य के नहीं। लोकप्रियता और महत्त्व दोनों में तुलसीदास अद्वितीय हैं।
रामचरितमानस पर एकाग्र अवधी-हिन्दी कोश तुलसी अध्ययन का एक मूल्यवान् उपयोगी सन्दर्भ-ग्रन्थ है। अकेले एक महाकाव्य पर केन्द्रित यह हिन्दी का सम्भवतः पहला कोश है। इस महाकाव्य में अवधी की विपुलता, सघनता, वैभव, सुषमा-सुन्दरता आदि का अद्भुत रसायन है। एक महाकवि होने के नाते तुलसीदास ने अनेक शब्दों को नये अर्थ, नयी अर्थाभा दी है। बहुत सारे शब्दों के प्रचलित अर्थों से उन्हें ठीक या सटीक ढंग से नहीं समझा जा सकता है। इस सन्दर्भ में यह कोश उन नये और कई बार अप्रत्याशित अर्थों की ओर हमें ले जाता है।
एक ऐसे समय में जब राम और तुलसीदास दोनों ही दुर्व्याख्या और दुर्विनियोजन के लगभग रोज़ शिकार हो रहे हैं तब इस कोश का प्रकाशन सम्बन्ध और संवेदना, खुलेपन और ग्रहणशीलता, समरसता और भाषिक विविधता की ओर ध्यान खींचता है। रज्जा पुस्तक माला में इस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ को प्रकाशित करते हुए प्रसन्नता है।
– अशोक वाजपेयी
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2024 |
Pulisher |
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