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Description
राष्ट्रीय महत्व के 100 भाषण
स्वतन्त्रता आन्दोलन से लेकर अब तक के सौ चर्चित भाषणों के इस संग्रह का उद्देश्य एक तरफ नई पीढ़ी को भारतीय इतिहास के महत्त्वपूर्ण पड़ावों से अवगत कराना है तो दूसरी तरफ उन मूल्यों को रेखांकित करना है जो हमारी राष्ट्रीय चिन्तन-धारा में निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं।
आज सारा भारतीय समाज विखंडित होने की ओर अग्रसर है यद्यपि हमारा विश्वास है कि राष्ट्रीयता की वह भावना जो विगत 150 वर्षों में उदित एवं पल्लवित हुई, कमजोर नहीं हो पाएगी। जातीय पार्टियाँ भले ही इस संकुचित भावना को उद्वेलित करती रहती हैं किन्तु अपनी लाख कोशिशों के बावजूद वे कमजोर पड़ती रही हैं।
2009 के ऐतिहासिक चुनावों ने भी इस धारणा की पुष्टि की है कि राष्ट्रीयता सदैव जातीयता पर भारी पड़ेगी जिसका उल्लेख आर.आर. दिवाकर ने संविधान सभा में अपने भाषण में 17 फरवरी, 1948 को किया था। प्रस्तुत पुस्तक में 1858 से 2008 तक के प्रमुख भाषणों को संगृहीत करने की कोशिश की गई है। काल-विभाजन के अनुसार पुस्तक को दो भागों में रखा जा सकता है : 1858 से 1946 एवं 1946 से 2008। कांग्रेस के निर्माताओं, राष्ट्रीय आन्दोलन के नेताओं, विभिन्न राष्ट्रीय पार्टियों के नेताओं, राजनीतिज्ञों के साथ-साथ इस युग के समाज सुधारकों, वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों के भाषणों का भी समावेश इसमें किया गया है जिन्होंने समाज के लिए बहुत कुछ सोचा और किया।
यह संकलन आज के संक्रमण-काल में व्यापक पाठक समुदाय के लिए विशेष रूप से उपादेय सिद्ध होगा।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2010 |
Pulisher |
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