Rati Ka Kangan

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Rati Ka Kangan

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225.00 175.00

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Author: Surendra Verma

Availability: 4 in stock

Pages: 150

Year: 2023

Binding: Hardbound

ISBN: 9788119014385

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

रति का कंगन

रति का कंगन हिन्दी के वरिष्ट साहित्यकार सुरेन्द्र वर्मा की नवीनतम विशिष्ट नाट्यकृति है। दिव्य के पीछे कभी गर्हित भी होता है—लेकिन गर्हित का ही रूपांतर फिर दिव्य में हो जाने की क्षत-विक्षत नाट्य-कथा है—रति का कंगन। परम स्वार्थी मल्लिनाग की उपस्थिति प्रथमदृष्टया ‘गीता’ से संबंधित विषय के शोधार्थी के रूप में होती है लेकिन अकादमिक संसार में मनोदैहिक क्षुद्रताओं का शिकार बन धनार्जन की खातिर उसे ‘कामसूत्र’ के लेखन के लिए विवश होना पड़ता है। मानक सिद्ध होते ही, इस कालजयी कृति की सतत विक्रय-वृद्धि के कारण प्रकाशक की लालची दृष्टि पड़ जाने के मल्लिनाग को अपना धर्माजन का बुनियादी लक्ष्य पूरा हुआ नहीं लगता। फिर ‘कामसूत्र’ पर पड़ती है नैतिकता के स्वयंभू ठेकेदार की कोपदृष्टि। पुनश्च, निराशा की गहरी अँधेरी रात से निकलकर अन्ततः समरस वीतराग तक पहुँच जाने की मनः स्थिति—इसी का नाम है ‘रति का कंगन’।

नाटक का उत्तराद्ध राग-भाव के अने वंचक व्यवहारों से सना हुआ है। प्रतिशोध की दुर्भावना से सम्पृक्त कौटिल्य का मिल्लनाग और अपनी पुत्री मेघाम्बरा की जिंदगी में ज़हर घोलना, कामिनी श्री वल्लरी की बौखनाहट, चिरकुमारी आचार्य लवंगलता की अपने शोधार्थी युवा मिल्लनाग में अनुरक्ति, विवाहिता नवयुवती कोकिला का त्रिकोणी स्वच्छन्द प्रेम आदि अने क घटनाएँ कामसूत्र से उपजे अर्थ-अनर्थ की व्याख्या करती हैं। इस तरह श्रृंगार के सहारे विविध रसानुभूतियों को खँगालने वाली यह कृति नाट्यभाषा एवं कला को नयी धार देती है।

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Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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