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Description
रवीन्द्रनाथ की कविताएँ
101 कविताओं का यह संग्रह प्रस्तावित संकलनों का पहला खंड है। ये कविताएँ पहले देवनागरी अक्षरों में प्रकाशित की जा चुकी हैं और अब भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में अनूदित हो रही हैं और उसके बाद ये संसार की प्रमुख भाषाओं में भी अनूदित हो सकती हैं। उत्तर भारत की सभी भाषाओं में एक ऐसा निकट का संबंध है कि जो पाठक बाङ्ला नहीं जानते, वे भी अगर मूल कविता को पढ़ सकें, तो उसे समझ सकते हैं। यह निकट का संबंध केवल भाषा में ही नही है, बल्कि समान परंपरा, समान अनुभूति, समान कथा-प्रसंग से उत्पन्न भाषा वेगों और मनोभावों में भी है।
इस पुस्तक में संकलित रवीन्द्रनाथ की कविता के जो विषय हैं वे हमारी दैनंदिन अभिज्ञता से ही लिए गए। उनकी भाषा बोलचाल की है और भाव-चित्र सरल हैं। फिर भी उनमें सौन्दर्य और सुदूर के ‘इंगित का एक ऐसा गुण निहित है, जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। यूरोप तथा अमेरिका के पाठकों को कविताएँ आश्चर्य मिश्रित हर्ष उत्पन्न करने वाले एक नए आविष्कार-सी लगी थीं। लेकिन रवीन्द्रनाथ की रचनाओं को मूल बाङ्ला में पढ़ने वाले पाठकों के लिए ये कविताएँ उनकी प्रारंभिक रचनाओं की स्वाभाविक परिणति-मात्र थीं।
रवीन्द्रनाथ की कविताओं को हिन्दी में पढ़ने का आनन्द इस पुस्तक से पाठकों को मिल सकेगा और वे इसे पसन्द करेंगे, ऐसी आशा है।
Additional information
Authors | |
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ISBN | |
Binding | Paperback |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
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