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Description
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रूहानी रात और उसके बाद
किसी की डायरी पाठक को खास तरह के गोपन और सम्मोहन के साथ अपनी ओर खींचती है, शायद इसलिए कि यह किसी को उसकी निजता में व्यक्त करती है। शायद इसीलिए सिद्धार्थ से गौतम में रूपांतरण से अधिक यशोधरा के एकांत को पढ़ने की लालसा बलवती होने लगती है। चौबीस घंटों के चक्रव्यूह में कौन क्या अर्जित करता है और क्या अर्जित करने के लिए किसका परित्याग कर देता है, यह प्रश्न सदा से ही डायरी को लोकप्रिय बनाता रहा है। इसी प्रकार एक संवेदनशील लेखक की डायरी कई अनदेखे, अनसुलझे प्रसंगों से होकर गुजरती है। साथ ही उसमें स्पंदित उसकी रचनात्मक प्रसव पीड़ा उसे और भी रोचक तथा शोधपरक बना देती है।
आखिर उस रात ऐसा क्या हुआ कि वह रूहानी हो गई ? लेखिका का तिहाड़ जेल की सुरंगनुमा दीवारों के भीतर होने का एहसास कैसा था ? पर्यटन में दक्षिण भारतीय जोड़े का बार-बार आंखों के सामने आ जाना किस तरह वैचारिक परिमार्जन का प्रतीक बन जाता है ? यह कैसे संभव है कि दुनिया की घटनाओं से मात्र इसलिए कोई अछूता बैठा रहे कि वह सीधे-सीधे उसके व्यक्तिगत जीवन से संबंधित नहीं ? पर्यावरण दोहन, पशु बलि और निर्भया कांड जैसे प्रसंगों के पुरजोर विरोध से सामाजिक सरोकार में बदलते चिंतन को इसमें बखूबी दर्ज किया गया है।
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Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2024 |
Pulisher |
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