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Description
साधना पथ
जीवन की परम उपलब्धि को प्राप्त करने की सरल राहें
अध्यात्म की यात्रा स्थूल से सूक्ष्म की है। स्थूल से सूक्ष्म दोनों ही स्थितियों में भ्रम की संभावना रहती है। इसीलिए जहां इस यात्रा में विशिष्ट समझ की जरूरत होती है, वहीं यह भी जरूरी हो जाता है कि इसे किसी मार्गदर्शक की देखरेख में तय किया जाए। साधना के बहिरंग साधनों के सही-गलत का निरीक्षण तो ऐसा आचार्य भी कर सकता है जो श्रोत्रिय हो, अर्थात् जिसने शास्त्रों का अध्ययन और चिंतन किया हो, लेकिन आंतरिक साधना-यात्रा के परीक्षण के लिए ऐसे सद्गुरु की कृपा आवश्यक होती है जो श्रोत्रिय और ब्रह्मनिष्ठ दोंनो ही हो, जो सत्य के बारे में जानता हो, और जिसने उसका साक्षात्कार किया हो। ऐसे महापुरुष को नमन करते हुए कहा गया है—
अज्ञान तिमिरांधस्य ज्ञानांजनशलाकया
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मैं श्री गुरवे नमः।।
वेदांत ग्रंथों में सर्वश्रेष्ठसाधना आत्मतत्व को जानने के प्रयास को कहा गया है। साध्य आत्मज्ञान ही तो है। साध्य सदैव सबके पास है, बस उस प्राप्त को जानने के लिए ही समस्त साधनाएं हैं।
यह पुस्तक म.मं. श्रद्धेय अवधेशानंद जी महाराज के प्रवचनों का सार रूप है। पढ़ते समय आपको लगेगा, मानो किसी अलौकिक लोक से आई बयार आपके मन को संताप मुक्त कर रही है। इससे उस शांति की झलक भी आपको मिलेगी जिसकी जन्म-जन्मांतरो से आपको तलाश है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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