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Description
साहब बीबी गुलाम
इस उपन्यास के रूप में बँगला कथाकार विमल मित्र ने एक ऐसी कृति प्रस्तुत की है जो अपने आप में कथाशिल्प का स्थापत्य है। इसमें कलकत्ता की बहुरंगी अतीत को उसके विकासशील वर्तमान से जोड़ने का एक सुंदर और कलात्मक प्रयोग किया गया है।
इस कृति में कथाकार ने उन राजा-रईसों के वैभव-विलास और अमोद-प्रमोद का चित्रण किया है जो कभी आलीशान महलों में बड़ी शान-ओ-शौकत से रहा करते थे। साथ ही उनके निरीह सेवकों और गुलामों की विवशता का भी हृदयस्पर्शी चित्रण है जो दिन-रात उनकी सेवा में लगे रहते हैं। सामंती परिवार का वह भीतरी परिवेश इसमें पूरे प्रभाव के साथ उभरा है जिसमें अपरिमित सुखों के बीच अलग-अलग तरह के दुख पालते रहते हैं। पूरी कथा ओवरसीयर भूतनाथ की जुबानी सामने आती है जो वतर्मान का संवाहक होकर भी अतीत की यादों में खोया रहता है। अंतः पुरवासिनी ‘छोटी बहू’ उसके ही मन पर नहीं, पाठकों के मन पर भी छायी रहती है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher |
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