Sahar Ke Khwab

-15%

Sahar Ke Khwab

Sahar Ke Khwab

300.00 255.00

In stock

300.00 255.00

Author: Monika Singh

Availability: 8 in stock

Pages: 134

Year: 2020

Binding: Hardbound

ISBN: 9789389598209

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

शहर के ख्वाब
प्रेम की गहरी व्यंजना, नज़दीकियों और दूरियों की हस्सास अक्कासी, देश और समाज की तल्ख़ हक़ीक़तों से ज़ख़्मी मिसरों और शे’रों की गहरी बुनावट—इन सबसे मिलकर बनती हैं मो‌निका सिंह की ग़ज़लें और इस नए ग़ज़ल-संग्रह के ख़्वाब। कहते हैं सहर यानी सुबह के वक़्त देखे गए ख़्वाब सच हो जाते हैं।

इस संग्रह की ग़ज़लों में ऐसे अनेक ख़्वाब सँजोए गए हैं, जिन्हें सच होना ही चाहिए। ख़ुशियों के, प्यार के, मिलन के, समाजी एकता और क़ौमी मुहब्बत के ख़्वाब के साथ मोनिका सिंह अपने वक़्त को भी बहुत गहराई से देखती है; और अपने मन को भी। यही वजह है कि उनके अहसास का सन्तुलन कहीं भी गड़बड़ाता नहीं है। ‘यकायक नींद में आँसू निकल आए; वो ख़्वाबों में मुझे तड़पा गया शायद।’ एक ग़ज़ल का यह शे’र जहाँ इश्क़ की गहरी संवेदना को रौशन करता है, वहीं हमें ऐसे शे’र भी पढ़ने को मिलते हैं : ‘दूरियाँ दो मज़हबों में की जिन्होंने, कह रहे वो/ फ़ासले होते नहीं कम, बात इतनी सी नहीं है/ फेंक कर स्याही बने हैं देशभक्ति के पुजारी/ बँट गए मुद्दों में यूँ हम, बात इतनी सी नहीं है।’

देवनागरी लिपि में लिखी जानेवाली ग़ज़लों ने धीरे-धीरे उर्दू अल्फ़ाज़ से अपनी नज़दीकी बढ़ाई है, आमफ़हम होने के नाम पर सपाट होने की आशंका को उसने काफ़ी कम किया है, और उर्दू ग़ज़ल की बहुस्तरीय अर्थगर्भिता के नज़दीक गई है। यह बात इस संग्रह में भी देखने को मिलती है।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Sahar Ke Khwab”

You've just added this product to the cart: