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Description
साहिबे आलम
प्रस्तुत दास्तान ‘साहिबे-आलम’ हिंदी-जगत के जाने-माने कथाकार बलवन्त सिंह का काल्पनिक चित्रण है। परन्तु प्रस्तुति इतनी सजीवता से की गयी है कि पाठक सोचने पर मजबूर हो जायेगा कि यह दास्तान है या सच्चा वाकया। यह दास्तान लाहौर से शुरू होती है जहाँ शेख साहब द्वारा भेजे गये हिंदुस्तानी जर्नलिस्ट को सफ़दर अली ‘साहिबे-आलम’ की दास्तान सुनाते हैं। पूरी दास्तान सुनकर पत्रकार कहने को विवश हो जाता है कि यह दास्तान है या सच्चा वाकया।
मुगलकालीन एतिहासिक परिवेश में रची-बसी इस दास्तान में वातावरण में यथार्थ चित्रण के लिए उर्दू-फारसी के शब्दों का प्रयोग किया गया है। निश्चय ही, पाठक जब यह अनोखी, सशक्त और बेजोड़ दास्तान पढना शुरू करेगा तो अन्त तक पढने को विवश हो जायेगा।
Additional information
Binding | Paperback |
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Authors | |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher |
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