Samkaleen Samvedna Ki Parakh

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Samkaleen Samvedna Ki Parakh

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Author: Vyas Mani Tripathi

Availability: 5 in stock

Pages: 140

Year: 2018

Binding: Hardbound

ISBN: 9789352294947

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

समकालीन संवेदना की परख

भूमंडलीकरण और बाजारवाद के युग में जिस उपभोक्तावादी संस्कृति का जन्म हुआ है उसमें मानवीय संवेदनाएँ निरन्तर क्षीण हुई हैं। आतंकवाद-सुरसा ने मानवता को निगलने का असफल प्रयास किया है। धर्मोन्माद ने स्नेह, सौख्य और सौहार्द की गहरी जड़ों को उन्मूलित करने की कोशिश की है तथा भय, आशंका और अंधविश्वास की जड़ों को मजबूत किया है। विसंगतियों और विडम्बनाओं की अधिकता से उपजे आज के द्वैध जीवन के वात्याचक्र में फँसे मानव के लिए आशा की कोई किरण नहीं है। टूटन, घुटन, विखंडन और अलगाव के ऐसे आधुनिक समय में समूल नाश की आशंका उत्पन्न हो जाने के कारण ही कवि को यह कहना पड़ा है कि ‘फिर भी कुछ रह जायेगा’। कोई ‘शेष बहुत कुछ को बचाने की कोशिश’ में जुटा है तो कोई इस कठिन समय में ‘अपने होने का एहसास’ करा रहा है, कोई संघर्ष और जिजीविषा के बीच ‘राग और आग’ की कामना लिये हुए है तो किसी को ‘स्नेह-नदी के सूखने का दर्द है’। किसी को ‘सृष्टि-मंच पर कठपुतलियों का नर्तन और सूत्रधार का मौन’ दिखाई देता है तो कोई ‘जीवन-बोध एवं राग-विराग’ का समाकलन करता है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2018

Pulisher

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