Sampoorna Alha Khand

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Sampoorna Alha Khand

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600.00 430.00

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600.00 430.00

Author: Pt. Ramlagan Pandey

Availability: 5 in stock

Pages: 720

Year: 2023

Binding: Hardbound

ISBN: 0

Language: Hindi

Publisher: Rupesh Thakur Prasad

Description

 

श्रीगणेशाय नमः

असली बड़ा आल्हखण्ड

परमालिक का ब्याह

अथवा

महोबे की पहिली लड़ाई

गणेश-वन्दना

छन्द

गिरिजा-सुवन गणेश सिद्धिदायक सब लायक।

लम्बोदर गजबदन गणाधिप सुधि सुखदायक।।

सिन्धुर वदन सुजान एकरद शिवसुत प्यारे।

पातक – नाशक आदिदेव त्रिभुवन सुर न्यारे।।

विश्ववन्द्य मंगलकरन, दुर्बुधि तिमिर दिनेश जय।

‘रामलखन’ विनवत परम, नाशहु कलुष कलेश भय।।

 

शिव वन्दना

जै शिव त्रिपुरारि काम-अरि चन्द्रमौलि जय।

गिरिजापति आशुतोष प्रभु जयति जयति जय।।

शोभित गंग तरंग शीश वृष पीठ चढ़ैया।

भव्य भाव भर हृदय देहु पवि मोद मठैया।।

नित त्रिशूल डमरू सहित, रमहु विषम भवभय हरण।

‘‘रामलग्न’’ बन्दन चरण, व्याल भाल भूषण धरण।।

 

सुमिरनी आल्हा-छन्द

सुमिरन करके नारायण को * औ लै प्रथम गुरू को नाम।।

साधु संत की नित सेवा सों * पूरण होय जगत को काम।।

समरथवान पिता परमेश्वर * जिनकी कृपा विदित संसार।।

जिनके सुमिरे से दुख छूटै * औ सुख होय अपार अपार।।

फिर मैं सुमिरूँ शिवशंकर को * जाके जटा गंग शशि भाल।।

अवढरदानी जगमें जाहिर * गल में सोहे मुण्डकी माल।।

अद्भुत माया है भोले की * जिसका पार कोई ना पाया।।

क्या तारीफ करूँ शिवजी की * कुछ तारीफ करी ना जाय।।

 

गिरिजा गनपति गौरिपति, रघुपति केशव राम।

तीनि देव रक्षा करैं, अहिपति धनपति नाम।।

 

फिर मैं सुमिरूँ जगन्नाथ को * कलियुग बौधरूप अवतार।।

विन्ध्यवासिनी को मैं सुमिरूँ * जो निकली हैं फोरि पहार।।

काली सुमिरूँ कलकत्ते की * जिसकी छड़ी लगी असरार।।

सुमिर भवानी चौहारी की * चौरा खँसी खेत हलुआर।।

चण्डी सुमिरूँ हरद्वार की * भूरे सिंह होति असवार।।

काशी सुमिरूँ हरद्वार की * जिनका गढ़ लागे दरबार।।

गोरख सुमिरूँ गोरखनाथ को * और मगहर में दास कबीर।।

अकबरपुर में नाथू महरा * नदिया बहै टँवस के तीर।।

शहर जौनपुर के किलवा में * पुजवा खायँ कररिया पीर।।

फिर मैं सुमिरूँ गढ़ भैरव को * जो हैं काशी के कोतवाल।।

सूरसती के पद बन्दन करि * आल्हखण्ड का कहूँ हवाल।।

होहु सहायक श्री जगदीश्वर * देवी सदा शारदा माय।।

कंठ विराजो तुम मेरे आकर * भूले अच्छर देहु बताय।।

 

दिनपति तारापति सुमिरि, अहिपति अज गौरीश।

गिरिपति बीनापति विमल, कमलापति अवनीश।।

 

कथा-प्रसंग

यहाँ की बातों को यहाँ छोड़ो * अब आगे का सुनो हवाल।।

आल्हखण्ड का पहला किस्सा * पंची सुनो लगाकर ख्याल।।

उत्तमपुर की एक बस्ती थी * जिसमें मिली चन्देरी जाय।।

वहाँ का राजा फूलसिंह था * योधा शूरवीर कहलाय।।

दो बेटे थे फूलसिंह के * जिनके बलका नहीं शुमार।।

छोटा बेटा पद्मसिंह था * बड़ा चन्देला राजड कुमार।।

तबहीं एक दिन की बातों में * पद्मसिंह ने कहा सुनाय।।

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Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

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