Sanskrit Swayam Shikshak
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Description
संस्कृत स्वयं शिक्षक
वेदमूर्ति पं. श्रीपाद दामोदर सातवलेकर की गणना भारत के अग्रणी वेद तथा संस्कृत भाषा के विशारदों में की जाती है। वे सौ वर्ष से अधिक जीवित रहे और आजीवन इनके प्रचार-प्रसार का कार्य करते रहे। उन्होंने सरल हिन्दी में चारों वेदों का अनुवाद किया और ये अनुवाद देशभर में अत्यन्त लोकप्रिय हुए। इसके अतिरिक्त योग के आसनों तथा सूर्य नमस्कार का भी उन्होंने बहुत प्रचार किया।
पं. सातवलेकर महाराष्ट्र के निवासी थे और व्यवसाय से चित्रकार थे। मुम्बई के सुप्रसिद्ध जे. जे. स्कूल आव आर्ट्स में उन्होंने विधिवत् कला की शिक्षा प्राप्त की थी। व्यक्ति चित्र (पोर्ट्रेट) बनाने में उन्हें विशेष कुशलता प्राप्त थी और लाहौर में अपना स्टूडियो बनाकर वे यह कार्य करते थे।
महाराष्ट्र वापस लौटकर उन्होंने तत्कालीन औंध रियासत में ‘स्वाध्याय मंडल’ के नाम से वेदों तथा संबंधित ग्रन्थों का अनुवाद तथा प्रकाशन कार्य आरंभ किया। सरल हिन्दी में वेद के ये पहले अनुवाद थे जो बहुत जल्द देशभर में पढ़े जाने लगे। संस्कृत भाषा सिखाने के लिए भी उन्होंने अपनी एक सरल पद्धति बनाई और इसके अनुसार कक्षाएँ चलानी आरम्भ कीं। पुस्तकें भी लिखीं जिन्हें पढ़कर लोग घर बैठे संस्कृत सीख सकते थे।
‘संस्कृत स्वयं-शिक्षक’ नामक यह पुस्तक शीघ्र ही एक संस्था बन गई और इस पद्धति का तेज़ी से प्रचार हुआ। संस्कृत को भाषा सीखने की दृष्टि से एक कठिन भाषा माना जाता है, इसलिए भी इस सरल विधि का व्यापक प्रचार हुआ। इसे दरअसल संस्कृत सीखने की ‘सातवलेकर पद्धति’ ही कहा जा सकता है। यह 70-80 वर्ष पहले लिखी गई थी। आज भी इसकी उपादेयता कम नहीं हुई और आगे भी इसी प्रकार बनी रहेगी।
औंध में स्वाध्याय मंडल का कार्य बड़ी सफलता से चल रहा था, कि तभी 1948 में महात्मा गांधी की हत्या की घटना हुई। नाथूराम विनायक गोडसे चूँकि महाराष्ट्रीय और ब्राह्मण थे, इसलिए सारे महाराष्ट्र में ब्राह्मणों पर हमले करके उनकी सम्पत्तियाँ इत्यादि जलाई गईं। इसी में पं. सातवलेकर के संस्थान को भी जलाकर नष्ट कर दिया गया। वे स्वयं किसी प्रकार बच निकले और उन्होंने गुजरात के सूरत जिले में स्थित पारडी नामक स्थान में फिर नये सिरे से स्वाध्याय मंडल का कार्य संगठित किया। 1969 में अपने देहान्त के समय तक वे यहीं कार्यरत रहे।
भाषा-शिक्षण के क्षेत्र में ‘संस्कृत स्वयं-शिक्षक’ एक वैज्ञानिक तथा अत्यन्त सफल पुस्तक है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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