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Description
संस्मरणों का आलोक
वैसे तो साहित्य की सभी विधाओं का महत्त्व है पर उनमें प्रत्यक्ष अनुभूति के साथ ही कल्पना की उड़ान भी सम्मिलित होती है। इसके विपरीत संस्मरण में वास्तविक अनुभव और सत्यानुभूतियों का ही समुच्चय होता है। इसलिए यह विधा अधिक विश्वसनीय होने के कारण प्रेरणादायी भी होती है। बहुत से प्रतिष्ठित संस्मरण लेखक कुर्सी उछालने और दाग ढूँढकर अपने संस्मरणों को मसालेदार बनाते हैं।
लेखक ने अपने इन संस्मरणों में इस प्रवृत्ति से बचने का प्रयास किया है। महापुरुषों और महान् साहित्यकारों के गुणों और प्रेरणादायी प्रसंगों की ही चर्चा इस पुस्तक में की गयी है। संस्मरण प्रायः उन्हीं व्यक्तियों के हैं जिनका प्रत्यक्ष दर्शन और साक्षात्कार लेखक को हुआ। अपवादस्वरूप रामचन्द्र शुक्ल और अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ के संस्मरण सुने और लिखे प्रसंगों से लिए गये हैं। इन संस्मरणों में जीवन्तता और बड़े लोगों के उदार, निरहंकार और उदात्त जीवन की झलकियाँ हैं। प्रेरणादायी तीन सन्तों, कई साहित्यकारों और समाजसेवी महानुभावों के संस्मरण इस पुस्तक में सम्मिलित किये गये हैं जो इतिहास की अमूल्य धरोहर बन सकते हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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