Sapanpriya
Sapanpriya
₹165.00 ₹160.00
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Author: Vijaydan Detha
Pages: 295
Year: 2016
Binding: Paperback
ISBN: 8126308958
Language: Hindi
Publisher: Bhartiya Jnanpith
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Description
सपनप्रिया
‘‘हवाई शब्दजाल व विदेशी लेखकों के अपच उच्छिष्ट का वमन करने में मुझे कोई सार नजर नहीं आता। आकाशगंगा से कोई अजूबा खोजने की बजाय पाँवों के नीचे की धरती से कुछ कण बटोरना ज्यादा महत्त्वपूर्ण लगता है। अन्यथा इन कहानियों को गढ़ने वाले लेखक की कहानी तो अनकही रह जाएगी।…. कुछ दिन पहले ही मुझे यह आत्मबोध हुआ कि मैं आकाश से टपका हुआ लेखक नहीं हूँ बल्कि चतुर्दिक् परिवेश के बीच हमेशा पलता रहा हूँ….राजस्थानी ‘बात’ का वजन, उसकी ध्वनि उसके छिपे अर्थ जो व्यक्त के द्वारा अव्यक्त की ओर संकेत करते हैं, प्रच्छन्न मौन को मुखरित करते हैं- यह सब प्रखर हो जाता है। बहुत कुछ बदल जाता है कथानक वे ही हैं, हिन्दी कहानी के आयाम बदल जाते हैं। इसलिए कि मैं निरंतर बदलता रहता हूँ। परिष्कृत और संशोधित होता रहता हूँ। जीवित गाछ-बिरछों के उनमान प्रस्फुटित होता रहता हूँ। सघन होता रहता हूँ।’’
प्रख्यात कथाकार विजयदान देथा (बिज्जी) के इस वक्तव्य के बाद इस संग्रह के बारे में अधिक कहने की जरूरत नही है। केवल यह आग्रह ही किया जा सकता है कि हिन्दी के कथा-प्रेमी पाठक इस ‘सपनप्रिया’ संग्रह की अद्भुत और अद्विताय कहानियाँ अवश्य पढ़े।
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher |
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