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Description
सप्तपर्णा
मनुष्य की स्थूल पार्थिव सत्ता उसकी रंग-रूपमयी आकृति में व्यक्त होती है। उसके बैद्धिक संगठन से जीवन और जगत सम्बन्धी अनेक जिज्ञासाओं, उनके तत्व के शोध और समाधान के प्रयास, चिन्तन की दिशा आदि संचालित और संयमित होते हैं। उसकी रागात्मक वृत्तियों का संघात उसके सौन्दर्य-संवेदन, जीवन और जगत के प्रति आकर्षण-विकर्षण, उन्हें अनुकूल और मधुर बनाने की इच्छा, उसे अन्य मानवों की इच्छा से सम्पृक्त कर अधिक विस्तार देने की कामना और उसकी कर्म-परिणति आदि का सर्जक है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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