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Description
सार्त्र : शब्दों का मसीहा
चिन्तन की अधुनातन प्रवृत्तियों में अस्तित्ववाद के प्रवर्तक ज्याँ पॉल सार्त्र की साहित्य में उपस्थिति ऐतिहासिक महत्त्व रखती है। नोबल पुरस्कार पाने और उसे अस्वीकार कर देने वाले प्रखर चिन्तनशील रचनाकार सार्त्रा व्यक्ति के स्वतन्त्र अस्तित्व की अर्थपूर्ण व्याख्या करते हैं। एक लेखक, दार्शनिक, राजनीतिक, सामाजिक अभिकर्त्ता, मानव मुक्ति के पैगम्बर, शब्दों के मसीहा-इन सबके जीवन्त मिश्रण थे सार्त्र।
विश्व साहित्य में इतनी बेबाक ईमानदारी, प्रामाणिकता की ऐसी गहरी पहचान कम ही मिलती है। द्वन्द्वों और विरोधाभासों के प्रति सतर्क रहकर उन्हें अपने शब्दों में पूर्णतः अभिव्यक्त करना सार्त्र के सृजन और चिन्तन का महत्त्वपूर्ण पक्ष है। सार्त्र के दर्शन को गम्भीर अध्येता प्रभा खेतान ने शब्दों का ‘मसीहा’ लिखकर युग चिन्तक के बहुआयामी व्यक्तित्व को रेखांकित किया है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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