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Description
सत्यार्थप्रकाश
आभार
‘सत्यार्थप्रकाश’ को प्रकाशित करने का मन काफी समय से था, लेकिन इसे मूलरूप में कैसे उपलब्ध किया जाए, इस बात को लेकर दुविधा की स्थिति थी। कारण-बाजार में जो ग्रंथ उपलब्ध हैं, वे अपने मूलरूप में हैं-इस बारे में संदेह बना हुआ था।
प्राचीन ग्रंथों को संपादन के नाम पर तोड़-मरोड़ से बचा पाना असंभव-सा लगता है। तभी परोपकारिणी सभा, अजमेर से प्रकाशित ग्रंथ पर दृष्टि पड़ी। उसका प्रकाशकीय वक्तव्य पढ़कर संदेह की पुष्टि भी हुई कि कुछ लोगों ने जाने-अनजाने इस ग्रंथ के साथ छेड़छाड़ की है। लेकिन साथ ही साथ यह विश्वास भी हो गया कि इस ग्रंथ को ‘शब्दशः मूलरूप में’ प्रकाशित करने में विद्वानों ने काफी सराहनीय कार्य किया है-विशेष रूप से श्री विरजानंद दैवकरणि ने। परोपकारिणी सभा के प्रधान श्री गजानंद आर्य भी इस संदर्भ में प्रशंसा के पात्र हैं, क्योंकि मूल प्रति से मिलान का यह प्रयास उन्हीं की प्रेरणा का प्रतिफल है।
परोपकारिणी सभा के प्रति हम हार्दिक आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने इस ग्रंथ को सभी लोगों का ग्रंथ स्वीकार करते हुए ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की वैदिक परंपरा का पालन किया है।
अंततः यह संभव प्रयास किया गया है कि पुस्तक त्रुटिहीन बने, लेकिन फिर भी त्रुटियों को नकारा नहीं जा सकता। विद्वज्जन इस संदर्भ में हमारा मार्गदर्शन करेंगे; ऐसा हमें विश्वास है।
– प्रकाशक
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
Reviews
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