Sayed Haider Raza (Ek Apratim Kalakaar Ki Yatra)

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Sayed Haider Raza (Ek Apratim Kalakaar Ki Yatra)

Sayed Haider Raza (Ek Apratim Kalakaar Ki Yatra)

375.00 295.00

In stock

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Author: Yashodhara Dalmia

Availability: 5 in stock

Pages: 300

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9789391277727

Language: Hindi

Publisher: Setu Prakashan

Description

सैयद हैदर रज़ा (एक अप्रतिम कलाकार की यात्रा)

रज़ा के बारे में लिखना दो भिन्‍न दुनियाओं का सामना करना था-एक दुनिया थी, १९४० के दशक का हिन्दुस्तान जो अब हमेशा के लिए खो चुका था, और दूसरी थी, अगले कुछ दशकों के पेरिस और फ्रांस की जो युद्धोत्तर मलबे से भरे हुए थे और पुनरुत्थान की प्रक्रिया में थे और जहाँ उनकी आधुनिकतावादी साधना-पद्धतियों के अन्तिम अवशेष अब भी दक्षिण एशिया तथा अन्य देशों के कलाकारों के प्रेरणा-स्रोत बने हुए थे। इन दो दुनियाओं का टकराव और सह-अस्तित्व उस उद्वेलक समय की विशिष्ट पहचान थी जिसने उस साँचे को गढ़ा था जिसमें रज़ा की कार्य-शैली ढली थी। इन वास्तविकताओं के बीच निरन्तर आवाजाही से उनकी कृतियों के रूपकों और काम करने के विशिष्ट ढंग के बीच वैभवशाली मिश्रण सम्भव हुआ था। यह इनके स्वतन्त्र अस्तित्वों का गुँथाव भी रहा होगा जिसने रज़ा के व्यक्तित्व को संश्लिष्ट, बहुभाषिक स्वरूप प्रदान किया और उनकी कला पर प्रभाव डाला। उनके निजी जीवन में वह सहज ढंग से घुला हुआ था और उसका उनकी दिनचर्या के साथ प्रायः बहुत दक्षतापूर्ण निर्वाह हुआ करता था। वे आज के विश्व नागरिक थे, जो साथ-ही-साथ अपनी जन्मभूमि से भी गहरे जुड़े हुए थे।

उनके लम्बे जीवन की पड़ताल करते हुए हमारा सामना ऐसी असंख्य घटनाओं और लोगों से होता है जो आभूषण में रत्नों की तरह जड़े हुए हैं। यह देखना किंचित्‌ विस्मयकारी है कि उनके काम में हिन्दी लेखकों और भारतीय संस्कृति तथा संगीत के प्रति गहरी संसक्ति है, जबकि वे इन सबसे मीलों दूर सर्वथा अलग दुनिया में रह रहे थे। जब वे अपने जीवन के अन्तिम दिनों में हिन्दुस्तान लौटते हैं, तो वे दिल्ली आते हैं-उस नगर में जहाँ से १८५७ के विद्रोह के दौरान उनके दादा ने पलायन किया था और इस तरह रज़ा एक चक्र को पूरा करते हैं।

– प्रस्तावना से

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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