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शब्द और साधना
‘शब्द और साधना’ प्रसिद्ध आलोचक डॉ. मैनेजर पाण्डेय की नवीनतम आलोचना पुस्तक है। इसमें डॉ. पाण्डेय ने अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप अनेक ऐसे विषयों की गहन पड़ताल की है, जिन्हें आज देखने से बचने की चेष्टा की जाती है। जो लोग डॉ. पाण्डेय को सैद्धान्तिक आलोचक मानते रहे हैं उन्हें उनकी व्यावहारिक आलोचना का विमर्श किंचित् अचरज में डालेगा और वे इस तथ्य को समझ पायेंगे कि सैद्धान्तिक रूप से प्रतिबद्ध हुए बिना आलोचना के व्यवहार पक्ष को भी बरत पाना आसान नहीं होता।
पुस्तक में कुल तेईस निबन्ध हैं, जो तीन खण्डों में विभाजित हैं। ये सभी अपने विवेचन में नया विमर्श रचते हैं। पहले खण्ड में शामिल निबन्धों में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का महत्त्व, जयशंकर प्रसाद की कामायनी और मुक्तिबोध, मुक्तिबोध और कामायनी, रामविलास शर्मा और हिन्दी नवजागरण, रामविलास शर्मा की आलोचना दृष्टि के मूल स्रोत, पण्डित विद्यानिवास मिश्र और मध्यकालीन कविता तथा सूरदास का काव्य और विश्वम्भरनाथ उपाध्याय जैसे निबन्ध नये स्तर पर विषयों की मीमांसा करते हैं तथा आज के सन्दर्भो में इनकी उपादेयता को परखते हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
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