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Description
शब्द पखेरू
अपनी कोशिशों से शताब्दियों को पार करते हुए इन्सान ने इस दुनिया को न केवल रहने की हर सुविधा से सजाया बल्कि चकाचौंध से भर दिया मगर उसमें एक वर्ग ऐसा भी है जो संघर्षरत है और जिसका जीवन अन्दर-बाहर दोनों स्तर पर नासूर बन चुका है। ऐसे इन्सानों में सूर्यकान्त भी है जो अपने कष्ट को कर्तव्य से दूर करने की लगन में यह बिल्कुल भूल चुका है कि प्रेम की भी जीवन में एक बड़ी भूमिका होती है जिसकी कमी से बीमार पत्नी साधना मौत के अँधेरे में गुम होना चाहती है जबकि उसकी दोनों जवान होती बेटियाँ घुटन से भरे घर के इस नर्क से रौशनी के दायरों को पकड़ने के लिए छटपटाती हैं।
नये तेवर, नयी भाषा-शैली में लिखा नासिरा शर्मा का यह एक मार्मिक उपन्यास है जो नयी पीढ़ी के गहरे दुखों व जद्दोज़हद से हमारा परिचय कराता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher |
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