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Description
शाल्मली
- ‘शाल्मली’ नासिरा शर्मा का एक ऐसा विशिष्ट उपन्यास है, जिसकी जमीन पर नारी का एक अलग और नया ही रूप उभरा है। ‘शाल्मली’ इसमें परंपरागत नायिका नहीं है, बल्कि यह अपनी मौजूदगी से यह अहसास जगाती है कि परिस्थितियों के साथ व्यक्ति का सरोकार चाहे जितना गहरा हो, पर उसे तोड़ दिए जाने के प्रति मौन स्वीकार नहीं होना चाहिए ।
- ‘शाल्मली’ सेमल के दरख्त की तरह है, जिसका अंश-अंश संसर्ग में आने वाले को जीवन-दान करता है; लेकिन उसका पति नरेश इस सच को स्वीकार करने की जगह अपनी कुंठाओं में जीता है, अपने स्वार्थों को शाल्मली के यथार्थ आचरण से ऊपर समझता है। यह हिसाबी-किताबी जीव है; लेकिन जिंदगी की सच्चाई के साथ इसका समीकरण गलत है।
- ‘शाल्मली’ एक बड़ी अफसर है। बावजूद इसके वह बेहद सामान्य है। पति, माता-पिता और सास के साथ उसके रिश्ते सच के नज़दीक है। यहीं उसकी खूबी है कि वह ‘नौकरशाह’ होते हुए भी, उस वर्ग से कटी हुई है और एक आम भारतीय नारी के यथार्थ को जीती है।
- ‘शाल्मली’ दया और करुणा से डूबी अश्रु बहाने वाली उस नारी का प्रतीक भी नहीं है, जिसे पुरुष-सत्ता की गुलामी में सब कुछ खो देना पड़ता है। वह सामान्य होते हुए भी असाधारण है और चुनौती के तेवर रखती है।
नासिरा शर्मा ने निश्चय ही यह उपन्यास बडी मेहनत से लिखा है। इसकी भाषा में कविता की लय और दीवार में निरंतरता को उन्होंने बडी खूबी से संवारा है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
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