Shapgrasta

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Shapgrasta

Shapgrasta

200.00 170.00

In stock

200.00 170.00

Author: Akhilesh Tatbhav

Availability: 5 in stock

Pages: 175

Year: 2009

Binding: Hardbound

ISBN: 9788171192755

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

शापग्रस्त

हिन्दी कहानी की चर्चा पर अखिलेश की कहानियाँ याद न आएँ, असम्भव है। वह ऐसे लेखक हैं जो बौद्धिकों और सामान्य पाठकों के बीच एकसाथ स्वीकृत हैं। अखिलेश का जिक्र समर्थ कथाकार के रूप में किया जाता है तो इसमें सबसे अधिक योगदान शापग्रस्त संग्रह में शामिल कहानियों का है। इस किताब की समस्त कहानियाँ अपनी संश्लिष्ट वास्तविकता, कलात्मकता और अद्वितीय गद्य के जरिए लगातार हिन्दी पाठक को मुग्ध, गर्वित और हैरान करती रही हैं। इसीलिए शापग्रस्त को यदि कहानियों के संग्रह की जगह श्रेष्ठ कहानियों का संग्रह कहा जाए तो अत्युक्ति न होगी।

इसमें उपस्थित ‘चिट्ठी’, ‘ऊसर’, ‘बायोडाटा’, ‘शापग्रस्त’ तथा ‘जलडमरूमध्य’ हिन्दी की बेहतरीन कहानियाँ हैं। साथ ही ‘अगली शताब्दी के प्यार का रिहर्सल’ एवं ‘पाताल’ भी अनेक चर्चित कहानियों की तुलना में बेहतर और पठनीय हैं। शापग्रस्त की कहानियाँ इस अर्थ में विस्फोटक हैं कि सभी की सभी देश के नए सच से मुठभेड़ करती हैं। मनुष्य, समाज, परिवार, संस्कृति, राजनीति, प्रेम और आत्मा पर आघात कर रहे उपभोक्तावाद-बाजार व्यवस्था की सर्जनात्मक साक्ष्य हैं ये कहानियाँ। मौजूदा समय स्वातन्त्रयोत्तर भारत का सबसे ज्यादा हिंसक तथा आक्रान्ता समय है, और इसी को शापग्रस्त की कहानियों में घेरा गया है।

अखिलेश के यहाँ खास रंग के जीवन्त, हँसमुख और शरारती गद्य के जरिए सत्य को ढूँढ़ा, परखा, प्रकट किया गया है। और, इस अर्थ में तो अखिलेश की भाषा का मिजाज अभिनव है कि वह एक तरफ व्यंग्य-विनोद की छटा बिखेरती है तो दूसरी तरफ करुणा की अन्तःसलिला भी प्रवाहित करती है। शायद इसी वजह से शापग्रस्त की कहानियाँ गजब की वाग्विदग्ध होने के बावजूद अपने परिणाम में हमें बेचैन, उदास और आन्दोलित करती हैं। ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि अखिलेश का यह संग्रह लम्बे समय तक हलचल पैदा करता रहेगा।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2009

Pulisher

Language

Hindi

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