Sharad Yadav : Ek Jeevani
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शरद यादव : एक जीवनी
प्राचीन महाकाव्यों में धीरोदात्त नायक मिलते हैं जो विपत्ति में धीरज नहीं खोते और युद्ध में भी नैतिकता का ध्यान रखते हैं! उनकी उदात्तता आज भी हमें उद्द्वेलित करती है! क्या आज की राजनीती में ऐसे नायक खोजे जा सकते हैं! निराशा होने पर अपरिहार्य है! मूलतः आज की राजनीती ही निराश करने वाली है, क्योकि वह किसी भी बड़े स्वप्न से जुडी हुई नहीं रह गई है! लेकिन हर बुरे दौर में कुछ अपवाद भी होते हैं! ये अपवाद बताते हैं कि राजनीती कुछ अलग तरह कि भी हो सकती है! ऐसे उँगलियों पर गिने जा सकने वाले कुछेक धीरोदात्त नायकों में श्री शरद यादव सर्वोच्च स्थान पर हैं! इमरजेंसी के दौरान जेल जाने वाले नेता बहुत थे, पर जब इंदिरा गाँधी ने लोकसभा कि अवधि पांच साल से बढ़ा कर छह साल कर दी, जो बिलकुल असंवैधानिक था, तब छह साल वाली लोकसभा कि सदस्य्ता त्याग देने वाले सिर्फ दो निकले – मधु लिमये और शरद यादव! लोकसभा से इस्तीफा देते हुए शरद यादव ने स्पीकर को जो पत्र लिखा वह एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है! उसने उचित समय पर उचित कार्रवाही करके साबित कर दिया कि धीरोदात्त नायक जरूरत पड़ने पर धिरोद्धत्त भी हो सकता है! यह शरद यादव जैसे लोगो कि चारित्रिक विशिष्टता होती है कि राजनितिक सफलता उन्हें पागल नहीं बना पति! शरद यादव के व्यक्तित्व की मिठास और अंतरंगता ने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा! पता नहीं कितने लोगों को उन्होंने टूटने से बचाया और कितने लोगो को प्रोत्साहन और प्रेरणा दी! शरद यादव शांत और स्निघ्द चेहरा उनके भीतर कि मानवीयता को प्रतिबिंबित करता है! उनका दरवाज़ा सभी के लिए खुला रहता था! शरद जी की यह उदात्तता उन्हें भारत की संसदीय राजनीती में एक खास दर्जा प्रदान करती है! एक तरह से, वे राजनीती मई रहते हुए भी राजनीती से ऊपर हैं! शरद जी कि यह उदात्तता उन्हें भारत कि संसदीय राजनीती में एक खास दर्जा प्रदान करती है! धीरोदात्त नायक शोर नहीं किया करते! वे आंदोलनधर्मी होते हैं, पर मात्र झंडा बन जाने से बचते है! लेकिन जब अवसर आता है तब गरजने से परहेज भी नहीं करते! भारत कि संसद ने शरद यादव को गरजते हुए कई बार सुना है।।।
हज़ारों वर्षो से सुषप्तावस्था में पड़े बहुसंख्यक समाज को जगाने तथा उन्हें उनके वाजिब हक़ दिलाने में उनका योगदान अतुलनीय है! वह उस क्रांति के नायक हैं जिसने निचले पायदान पर खड़े बहुसंख्यकों को बुद्धि और साधनों से संपन्न आबादी के समकक्ष लेकर खड़ा कर दिया! क्रांति का जन्म चिल्लाहट से नहीं होता, वह तो चिंतन और विचारों के पालने में झूलकर पोषित होती है! शरद यादव इसी कोटि के क्रन्तिकारी हैं! वे उग्र नहीं उदात्त हैं, राजनीती कि रज से रुषित नहीं, अवदात्त हैं ! मन, वचन और कर्म कि एकरूपता बेहद बिरले महापुरुषों में मिलती है! शरद यादव इस पथ के निभ्रात और अविश्रान्त पथिक हैं ! निःसंदेह प्रस्तुत पुस्तक शरद यादव के राजनितिक व्यक्तित्व के इर्द गिर्द घूमती है! लेकिन फिर भी इस पुस्तक में जो तथ्य दिए गए हैं वह अत्यंत ही शोधपरक हैं तथा जनता दाल के समकालीन तथा उसके बाद के राजनैतिक परिद्रश्यों पर काफी सटीक जानकारी से परिपूर्ण है! शरद यादव जैसी राजनैतिक संस्था से बहुत कुछ सिखने कि तमन्ना रखने वाले व्यक्तियों के लिए यह पुस्तक अत्यंत लाभकर साबित होगी!
Additional information
Pulisher | |
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Authors | |
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
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