Shree Duttatreya Tantra Prayog

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Shree Duttatreya Tantra Prayog

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Author: C.M. Srivastava

Availability: 5 in stock

Pages: 200

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9788131004685

Language: Hindi

Publisher: Manoj Publications

Description

श्रीदत्तात्रेय तंत्र प्रयोग

भूमिका

कोई भी ऐसा कार्य अथवा कोई भी ऐसी इच्छा नहीं, जो तंत्र द्वारा पूर्ण या संपन्‍न न की जा सके। भगवती जगदम्बा के आग्रह को मानकर भगवान शिव ने तंत्र विद्या का उपदेश किया है। इसमें प्राणीमात्र के जीवन में आने वाली सभी प्रकार की कठिनाइयों का निवारण करने का विधान है।

महान योगी श्री दत्तात्रेय ने भगवान शिव के समक्ष तंत्र और तांत्रिक-क्रिया एवं प्रक्रियाओं की ज्ञान-प्राप्ति के निमित्त कुछ प्रश्न रखे। शिवजी ने काल और स्थिति का ध्यान रखकर संवाद रूप में विचार व्यक्त किए, विस्तार से उनका प्रबोधन किया तथा विश्वद्रष्टा प्रभु ने इतनी उदारता से रहस्यों का कथन किया कि वह हमारे लिए विचार-सागर के मंथन से निःसृत अमृत के रूप में दत्तात्रेय तंत्र बनकर प्राप्त हो गया।

वस्तुतः महायोगी भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयुक्त अवतार हैं। इन तीनों देवताओं की तेजोमयी शक्ति का उनमें चिर निवास है तथा कलियुग में आदिगुरु के रूप में समस्त भारत उनका क्षेत्र है। सभी भक्तगण उनकी अनेक प्रकार से भक्ति, पूजा और उपासना आदि करते हैं। स्त्रियां भी अनेक पर्वों पर व्रत, उपवास, कथा- श्रवण द्वारा उनके कृपा-प्रसाद के लिए सेवा में लगी रहती हैं।

महासती अनसूया के गर्भ से उत्पन्न परम ‘योगनिष्ठ, श्रुति-स्मृति-विहित कर्मकाण्ड तथा तंत्रमार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री दत्तात्रेय जीवमात्र के उपास्य हैं। मध्य युग में नाथ-संप्रदाय के आचार्य गोरखनाथ ने दत्तात्रेय जी से बहुत-सी शिक्षाएं प्राप्त की थीं। नाथ-संप्रदाय में मान्य ‘ज्ञानदीप’ ग्रंथ में इसका वृत्तांत मिलता है। उससे ज्ञात होता है कि गोरखनाथ और दत्तात्रेय दोनों परस्पर एक दूसरे के प्रति अगाध श्रद्धा रखते थे। दत्तात्रेय नारायण के रूप तथा गोरखनाथ साक्षात्‌ शिव के रूप थे। सहज-समाधि की व्याख्या दत्तात्रेय ने की थी।

श्री दत्तात्रेय को ‘सिद्धर्षि’ के रूप में पूज्य माना गया है। किन्तु इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि वे इतने में ही मान्य थे अथवा हैं; वे तो ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों प्रधान देवताओं के एकीभूत रूप थे। वैदिक धर्म के छहास के समय विष्णु द्वारा दत्तात्रेय का रूप धारण करके धर्म और समाज की स्थापना का वर्णन “विष्णुधर्मोत्तरपुराण’ में मिलता है।

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Paperback

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Language

Hindi

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Publishing Year

2020

Pulisher

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