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Description
श्रेष्ठ जैन कथाएं
किसी भी धर्म के मूल सिद्धांतों को जानने, समझने और उसके व्यावहारिक रूप को परखने का सबसे अच्छा माध्यम होती हैं, उस धर्म के आधारभूत विचारों एवं सिद्धांतों की जीवन में उपादेयता को दर्शाने वाली कथाएं।
व्यक्ति अपनी बाल्यावस्था में जीवन संबंधी जो भी नैतिक शिक्षा ग्रहण करता है उसमें से अधिकांश कथाओं के माध्यम से दी जाती है। अपने शेष जीवन में भी व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के जीवन-अनुभवों की कथाओं से शिक्षा लेता रहता है। अतः जीवन में कथाओं की उपयोगिता निर्विवाद है।
नैतिक तथा जीवनोपयोगी सिद्धांतों की शिक्षा कथाओं द्वारा जितने सहज ढंग से कही और सुनी जाती रही है वह भी निर्विवाद सत्य है। वाचिक परंपरा के साथ ही लिखित रूप में भी इन कथाओं का समान महत्त्व है।
प्रस्तुत ‘श्रेष्ठ जैन कथाएं’ भी कर्म के ‘सत’ एवं ‘असत’ रूपों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों से परिचित कराती हैं इसीलिए ये पुरातन कथानकों की होते हुए समसामयिक महत्व की कथाएं हैं। ये हमें जीने की कला सिखाती हैं तथा सर्वोत्तम जीवनचर्या के विचारों से परिचित, कराती हैं।
‘श्रेष्ठ जैन कथाएं’ के माध्यम से लेखिका ने जैन सिद्धांतों एवं विचारों को रेखांकित करने का महत्त्वपूर्ण प्रयास किया है।
अनुक्रम
★ निवेदन
★ हंसराज
★ विवेक का महत्त्व
★ शीलवान सुदर्शन
★ वचनबद्धता
★ सती अंजना
★ सती ज्येष्ठा
★ सती धारिणी
★ शीलवती चंदनबाला
★ सद्मार्ग का वरण
★ धर्मपरायण
★ दृष्टि का अंतर
★ भगवान महावीर और ग्वाला
★ तीन पग का भूमि-दान
★ धन्यकुमार चरित
★ मैरावती
★ अयमुत्त मुनि
★ पूर्व कर्म का फल
★ रानी चेलना
★ पाप और पुण्य
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2008 |
Pulisher |
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