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Description
सिंगापुर की जल कथा
अपनी अनेकानेक कठिनाइयों के बावजूद, व्यावहारिक नीतियों, स्पष्ट दृष्टि, दूरगामी योजनाओं,भविष्योन्मुख रणनीतियों और राजनीतिक इच्छाशक्ति तथा उत्तरोत्तर सुधार की चाह के चलते सिंगापुर की पिछले पचास वर्षों की जल-यात्रा श्रेष्ठ उदाहरण है कि कैसे संपोषणीय विकास हेतु मजबूत आधारशिला रखी जा सकती है।
इस पुस्तक में सिंगापुर की विकास-यात्रा और उसके निर्माण में पानी की मुख्य भूमिका का रोचक वर्णन है। यह कथा इस माने में अनुपम है कि निरंतर विकास हेतु नीतियाँ तथा एजेंडा करते समय, एक तेजी से बदलते शहरी परिवेश में, जल आत्मनिर्भरता की तलाश सिंगापुर के लिए कितनी अहम थी। लेखकों ने इस संबंध में योजनाओं, नीतियों, संस्थानों, नियम तथा कानूनों, पानी की माँग और पूर्ति रणनीतियों, जल-गुणवत्ता तथा जल संरक्षण उपायों, साझेदारियों तथा मीडिया की भूमिका का गहन विश्लेषण किया है। उन्होंने इसका आकलन भी किया है कि कैसे इस छोटे-से शहर-राष्ट्र की तेजी से बदलती आवश्यकताओं के जवाब में किस प्रकार इन सब मुद्दों का क्रमिक विकास हुआ।
सिंगापुर की जल-कथा दर्शाती है कि एक गतिशील समाज, बिना पर्यावरण की अनदेखी किए, किस प्रकार विकास के नए प्रतिमान स्थापित करता है। पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी तथा जल संबंधी चिंताओं ने सिंगापुर के तीसरी दुनिया से पहली दुनिया के राष्ट्र बनने को गहरे से प्रभावित किया है। यह रूपांतरण कैसे और क्यों हुआ, यही इस प्रामाणिक ग्रंथ का मुख्य फोकस है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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