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Description
सोफिया
अपनी पीढ़ी की सर्वाधिक प्रतिष्ठित उपन्यासकार मनीषा कुलश्रेष्ठ अपने नव्यतम उपन्यास ‘सोफिया’ के माध्यम से एक ऐसी प्रेम–कथा लेकर आयी हैं, जो समाज के असहिष्णु चेहरे को उजागर करती है। यह कथा अगर उन दो सितारों के नाम समर्पित है, जो अंतरिक्ष में एक दूसरे के पीछे चलते मालूम होते हैं तो इससे अधिक मुफीद और कुछ हो भी नहीं सकता था क्योंकि यह अनूठी प्रेम–कथा सदियों से लेप लपेटे एक ममी के खुलने पर सामने आई है जो लम्बे समय से रचनाकार के अंतस में सो रही थी।
सोफिया से बारम्बार मेल–मुलाकातों के अनुभवों से जन्मी यह विरल कथा अपने साथ लेकर आयी है–युवाकाल का मलंग समय, खूबसूरत शौक और अलमस्तियों के बीच अगाध प्रेम की अविस्मरणीय अनुभूतियां। इसका आकर्षण ऐसा अनुपम है कि खुद किस्सागो एक चरित्र में तब्दील हो जाता है। रचनाकार का कहन–कौशल ऐसा है कि कथा कहीं ठुमकती हुई बहती है तो कहीं फास्ट फॉरवर्ड गति पकड़ लेती है, लेकिन जिन्दगी की प्रेमगंगा में डुबकियां हरदम लगाती रहती है।
यदि सहज प्रेम को समाज स्वीकार न कर सके, तो इन्सान इस कदर बदल जाने पर विवश हो उठता है कि खुद को एक घाव की तरह जिन्दा भर रखता रहे। स्मृतियों का अद्भुत प्रयोग और शायरी का प्रवाह एक लयात्मक कथा गद्य की सृष्टि करता है। जो पाठक इसे एक कोरी प्रेम–कथा मानकर पढ़ेंगे, वह तब एकाएक सनाका खा जाएंगे जब पाएंगे कि यह कथा अनायास समाज की अनीति भरी मान्यताओं को कठघरे में खड़ा कर देती है। परिवार से समाज तक, शैतान की खोह में चले जाने वालों की पहचान करते हुए यह उपन्यास प्रेम की निर्मलता और समाज की कठोरता के बीच एक महाप्रश्न खड़ा करता है कि इन्सान वैसी ही दुनिया कबूल कर बैठने पर विवश क्यों हो जाता है, जैसी दूसरे लोग उसे बनाना चाहते हैं। मजहब के फर्क की सजा प्रेमी को आखिर कब तक मिलती रहेगी ?
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Binding | Hardbound |
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Language | Hindi |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
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